आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
पर्याप्त स्थान उपलब्ध नहीं होने से प्रदेश के 136 स्कूलों में हर्बल गार्डन विकसित नहीं हो सकेंगे। आयुष विभाग ने पहले से चिह्नित इन स्कूलों की जगह नए संस्थानों का चयन करने को कहा है। हर्बल गार्डन बनाने को आयुष विभाग की ओर से बजट खर्च किया जाएगा। आयुष विभाग ने उच्च शिक्षा निदेशालय को पत्र जारी कर नए स्कूलों की सूचना जल्द देने को कहा है। उधर, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने सभी जिला उपनिदेशकों को पत्र जारी स्कूलों का जल्द चयन करने को कहा है।
औषधीय और विलुप्त होती प्रजातियों के पौधों को स्कूल परिसर में लगाने के लिए आयुष विभाग की ओर से योजना चलाई गई है। इसके तहत हर स्कूल को 25-25 हजार रुपये का बजट दिया जाना है। स्कूल परिसर के 500 वर्ग मीटर भूमि पर पौधे लगाए जाएंगे। हर स्कूल को चार साल तक 7,000 रुपये का वार्षिक रखरखाव अनुदान भी मिलेगा। स्कूलों को अपने परिसरों में हर्बल गार्डन स्थापित करने के लिए पर्याप्त भूमि की आवश्यकता को पूरा करना जरूरी है।
इस पहल का उद्देश्य औषधीय पौधों की खेती करना, उनके उपयोग के बारे में छात्रों के ज्ञान को बढ़ाना और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना है। स्कूलों को हर्बल गार्डन के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि निर्धारित करनी होगी। प्रत्येक गार्डन में स्थानीय कृषि-जलवायु क्षेत्र के आधार पर दुर्लभ, लुप्तप्राय: और संकटग्रस्त प्रजातियों सहित औषधीय पौधों की 10-15 प्रजातियां लगाई जाएंगी।
छात्र औषधीय पौधों को रोपने, पानी देने और लेबल लगाने में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। इससे उन्हें उन प्रजातियों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में व्यावहारिक अनुभव और ज्ञान प्राप्त होगा। पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देते हुए पौधों की वृद्धि को बढ़ाने के लिए वर्मी-कम्पोस्ट और जैविक उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पहल में पौधों की लेबलिंग की व्यवस्था है जहां छात्र पाैधे की प्रजाति जान पाएंगे। प्रदेश के कई स्कूलों में हर्बल गार्डन स्थापित भी कर दिए गए हैं।