भारतीय उच्चायुक्त से मुलाकात के कुछ घंटों बाद श्रीलंकाई प्रांत के गवर्नर का इस्तीफा

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आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला

श्रीलंका के प्रांतीय गवर्नर ए जे मुजम्मिल ने भारतीय उच्चायुक्त से मुलाकात के कुछ घंटों बाद इस्तीफा दे दिया और विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा के प्रति अपनी निष्ठा जताई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, श्री प्रेमदासा के लिए उनका इस्तीफा और समर्थन 21 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से 16 दिन पहले आया है।

मुजम्मिल को अगस्त 2020 में श्रीलंका के पूर्व नेता गोटबाया राजपक्षे द्वारा उवा प्रांत का गवर्नर नियुक्त किया गया था। श्री मुजम्मिल ने राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को लिखे अपने त्याग पत्र में कहा कि कुछ राज्यपालों के प्रति मेरी निराशा है, जो राज्यपाल पद पर रहते हुए विभिन्न राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं महामहिम को सूचित करना चाहता हूं कि मैं अपने इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार साजिथ प्रेमदासा का समर्थन करने का इरादा रखता हूं। इस्तीफा देने से पहले उन्होंने श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा से उनके आधिकारिक घर इंडिया हाउस पर मुलाकात की। भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी ने इकोनॉमी नेक्स्ट को बताया कि राज्यपाल के अनुरोध पर बैठक आयोजित की गई थी। अधिकारी ने कहा कि यह राजनीतिक बातचीत और द्विपक्षीय संबंधों पर नियमित बैठकों में से एक है। उन्होंने कहा कि मुजम्मिल के इस्तीफे और प्रेमदासा का समर्थन करने की उनकी प्रतिज्ञा से भारत का कोई लेना-देना नहीं है। पिछले सप्ताह भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ एक बैठक हुई।

स्थानीय साप्ताहिक संडे टाइम्स के अनुसार श्री डोभाल ने बैठक के दौरान कहा कि तमिल सांसदों को तमिल लोगों के वोट बर्बाद नहीं करना चाहिए और इसके बजाय बातचीत करने का प्रयास करना चाहिए। भारत ने राष्ट्रपति पद के किसी भी दावेदार के प्रति खुलकर अपना समर्थन व्यक्त नहीं किया है। अपनी यात्रा के दौरान, श्री डोभाल ने शीर्ष चार उम्मीदवारों राष्ट्रपति विक्रमसिंघे, प्रेमदासा, माक्र्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना नेता अनुरा कुमारा डिसनायका, और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के पुत्र नमल से मुलाकात की। भारत लंबे समय से नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों, भूमि कनेक्शन, बंदरगाह साझेदारी और ऊर्जा पाइप कनेक्टिविटी के लिए श्रीलंका के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन इनमें से कई पर अभी तक राजपक्षे और विक्रमसिंघे द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए। भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सुरक्षा का हवाला देते हुए चीनी युद्धपोतों को समुद्र तल पर शोध करने की अनुमति दिए जाने पर भी चिंता व्यक्त की है।

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