HRTC News: एचआरटीसी के खजाने में सिर्फ 55 करोड़ शेष बचे

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बजट में इस साल केवल 367 करोड़ ग्रांट इन एड, अब तक मिल चुके हैं 312 करोड़, पहले मिलते थे सालाना 720 करोड़ रुपए

आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला

हिमाचल पथ परिवहन निगम के आर्थिक हालात अब और बिगडऩे वाले हैं। निगम के कर्मचारियों और पेंशनरों को सरकार द्वारा मिलने वाली ग्रांट इन एड से ही तनख्वाह व पेंशन दी जाती है, मगर सरकार ने इस साल के लिए जो बजट एचआरटीसी के लिए रखा है, वह खत्म होने की कगार पर है। अगले महीने निगम को केवल 55 करोड़ रुपए मिलेंगे और यही उसकी आखिरी किस्त है। हालांकि सरकार चाहे, तो एडिशनल ग्रांट मंजूर कर सकती है, मगर वर्तमान स्थिति यही है कि अब केवल 55 करोड़ रुपए ही मिलेंगे। इससे निगम के कर्मचारियों को अगर वेतन दिया गया, तो पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल पाएगी। सूत्रों के अनुसार हिमाचल पथ परिवहन निगम को सरकार सालाना 720 करोड़ रुपए की राशि प्रदान करती थी, जिसे ग्रांट इन एड कहा जाता है। इस साल सरकार ने जो बजट रखा है, उसमें निगम को केवल 367 करोड़ रुपए की राशि ही रखी है। इसमें से अभी तक निगम को सरकार द्वारा 312 करोड़ रुपए की राशि जारी हो चुकी है और 55 करोड़ रुपए शेष बचते हैं।

इन परिस्थितियों में निगम का काम आगे कैसे चलेगा, यह उसके सामने चुनौती है। हालांकि परिवहन निगम हर महीने आमदनी को बढ़ा रहा है और माह दर माह 10 से 15 करोड़ रुपए की इनकम बढ़ रही है, मगर इससे अभी गुजार चलने वाला नहीं है। परिवहन निगम ने हाल ही में स्कूल बस पास की दरें बढ़ा दी हैं, वहीं लोगों को दिए जाने वाले रियायती कार्ड का रेट भी बढ़ाया गया है। इसके अलावा बड़ा फैसला पुलिस कर्मचारियों की सेवा को बंद करने का रहा है, मगर इस पर अभी तक सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किए हैं। बताया जा रहा है कि यह मामला अभी दोबारा कैबिनेट में जाएगा, जिसके बाद सरकार नए सिरे से निर्णय लेगी। इससे काफी ज्यादा लाभ निगम को मिलेगा।

बड़े फैसले लेने का सुझाव

सूत्रों के अनुसार कुछ और बड़े फैसले लेने के लिए निगम ने सरकार को सुझाव दिया है, मगर उन पर अभी तक कुछ नहीं हो सका है। ऐसे में जहां एक तरफ निगम की आर्थिक हालत खराब है, तो दूसरी ओर सरकार से पूरा सहयोग नहीं मिल पा रहा है। यहां सरकार ग्रांट इन एड को नहीं बढ़ाती है, तो एक महीने बाद निगम के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ जाएंगे जिससे स्थिति ज्यादा खराब हो जाएगी। वैसे भी निगम अपने कर्मचारियों के वित्तीय लाभ अब तक नहीं दे पाया है। 50 महीने से चालकों व परिचालकों का नाइट ओवर टाइम नहीं मिल पाया है, वहीं एरियर व डीए भी खड़े हैं। इन पर अब जेसीसी की बैठक होने जा रही है, जिसमें कर्मचारी भी आंदोलन की रणनीति बनाएंगे।

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