नई दिल्ली ब्यूरो प्रदीप जैन:-
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वे सभी अस्पतालों के लिए कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने पर उनका प्लाज्मा लेना अनिवार्य किए जाने की मांग करनेवाली याचिका पर प्रतिवेदन की तरह विचार करें। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता के सुझावों पर कानून के मुताबिक विचार करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता पियूष गुप्ता की ओर से वकील कपिल गोयल ने मांग की थी कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को दिशा-निर्देश जारी किया जाए कि अस्पतालों और नर्सिंग होम में आसानी से प्लाज्मा उपलब्ध हो सके। याचिका में कहा गया था कि होम आइसोलेशन या क्वारेंटाइन में रहने वाले मरीजों का भी प्लाज्मा लेने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया था कि अभी तक प्लाज्मा थेरेपी छोड़कर कोरोना का कोई प्रभावी उपाय नहीं खोजा जा सका है। लेकिन हमारी सरकार प्लाज्मा की उपलब्धता के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा रही है।
याचिका में मांग की गई थी कि प्लाज्मा की उपलब्धता को रेगुलेट करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए, जो सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम में प्लाज्मा रखना अनिवार्य करे। याचिका में कहा गया था कि सभी सरकारी और निजी अस्पताल अपने यहां भर्ती कोरोना मरीजों का डाटा उपलब्ध कराएं। साथ ही ये अस्पताल स्वस्थ हो चुके कोरोना मरीजों का प्लाज्मा लेना सुनिश्चित करें। ये अस्पताल प्लाज्मा की उपलब्धता को डिस्प्ले करें और कोरोना के गंभीर मरीजों को मुफ्त में या कम कीमत में प्लाज्मा उपलब्ध कराएं। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता को इस बात की जानकारी मिली है कि प्लाज्मा की कालाबाजारी शुरू हो गई है और जरूरतमंद रोगियों को प्लाज्मा नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में प्लाज्मा को रेगुलेट करने के लिए मेकानिज्म बनाने की जरूरत है।
स्वस्थ हुए कोरोना मरीजों से प्लाज्मा लेना अनिवार्य नहीं: हाई कोर्ट
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