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दलित पथ ओर स्वर्ण पथ, आज भी है स्वर्णो ओर दलितों के अलग अलग रास्ते

03-07-2019
आवाज जनादेश
सहयोगी
आज तक केसरी
हिमाचल प्रदेश
कुल्लू
विनोद महंत
ब्यूरो कुल्लू
खबर – मंडी डैक्स कार्यालय
हर साल हम आज़ादी का जश्न मनाते है ,जातपात की दीवारों को गिराने के दावे भी खूब होते है ,भाई चारे का प्रतीक भी मानते है ,पर क्या सच मे आज जातपात के भेदभाव मिट चुके है, इसमें सबके अलग अलग मत हो सकते है । पर एक सबसे बड़ा सच हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के कई स्थानों में आज भी आपको देखने को मिल जाएगा जहां आम इंसान से लेकर भगवान की मूर्ति को छूने तक का जुर्माना लगता है । जी हां यह एक कड़वा सच है कुल्लू जिले की लगघाटी का । पहले बात करते है यहां दर्जनों पंचायते ऐसी है जहां दलित पथ बने है जहां से केवल दलित समुदाय के लोग ही गुजर सकते है इन पंचायतो / गांवो के अंदर सवर्ण समुदाय ओर दलित लोगो के अपने अपने रास्ते बने है, अगर कोई दलित इंसान सवर्ण रास्तो से गुजर जाता है तो ऐसे दलित लोगो को जुर्माना लगाया दिया जाता है । भारत देश मे शायद ऐसा गांव / पंचायत कही नही होगी । जो यहां होता है ऐसा कही नही होता होगा ,स्वर्ण रास्ते ओर दलित पथ सब जाति धर्म मे यहां बंटे है ,दलित समुदाय आज भी अपने ही रास्तो पर चलने को मजबूर है । यह भी भारत देश की एक ऐसी तस्वीर है जहां दलितों को अलग रास्तो से गुजरना पड़ता है । ऐसी कई पंचायते कुल्लू जिला में है जहां दलितों और स्वर्णो के अलग अलग रास्ते बने हुए है । आज भले ही हम मेक इन इंडिया की बाते करते है पर जो कड़वा सच इन पंचायतो में है वो अपने आप मे हैरान करने वाला है । दलितों को आज भी शायद गुलामी की झँजीरो में ही झकड़ा गया है । इन पंचायतो में कुछ पंचायते तो ऐसी भी है जहां पैदल सफर करके पहुंचा जाता है । ये हाल कुल्लू जिले की लग घाटी की कुछ पंचायतो का है और न जाने ऐसी कितनी पंचायते ओर गांव ओर होंगे जो अभी तक सामने ही नही आये है । जहां यह गांव पंचायते दलितों और स्वर्णो में बंटी हुई है वही इन गांवों की एक खासियत यह भी है कि इन गांवों के अंदर बीड़ी सिगरेट शराब का सेवन भी बंद है । गांव की सीमा में तभी प्रवेश मिलता है जब गांव की सीमा के बाहर ही बीड़ी सिगरेट शराब को जैसे नशीले पदार्थो को रखना पड़ता है । अब बात करते है मलाणा गांव की ,ये वो गांव है जो भांग ओर अफीम के नशे के लिए बदनाम है मलाणा अपने कानून के लिए भी विश्व मे जाना जाता है यहां देवता का हुक्म सबको मानना पड़ता है ।मलाणा गांव कई बार जला फिर बसा फिर जला यहां आग का तांडव होता ही रहता है ।मलाणा गांव भी एक ऐसा गांव है जहां दलितों के अलग रास्ते है यही नही अगर कोई पर्यटक या इंसान गांव में घुस में जाये तो उनके लिए भी अलग रास्ते है ग्रामीणों के रास्तो से अगर कोई गुजर गया तो उसका समाधान फिर जुर्माना है । इसके अलावा सबसे रोचक बात यह है कि इस गांव के किसी मकान -मंदिर – इंसान को कोई छू लेता है तो उस पर भी जुर्माना लगता है । दुकान से अगर किसी बाहरी इंसान ने सामान लेना है तो दुकान के बाहर ही खड़े होकर सामान जमीन पर रखकर दिया जाता है और पैसे भी दुकान के बाहर जमीन पर ही रखने पड़ते है । इसके अलावा अगर कोई मलाणा गांव के मंदिरों या मूर्तियों को छू लेता है या हाथ लगा लेता है तो उसका भी जुर्माना बोर्डो पर लिखा गया होता है जो कि 100 रुपये से लेकर 2-3 -5 हजार रुपये तक है । मलाणा गांव के लोग स्वयं को सिकन्दर महान के वंशज बताते है अब ऐसा लगता है कि भारत देश को लूटने वाला सिकन्दर तो यहां नही रहा है पर अब सिंकदर के वंशज देश के लोगो को देवता का ख़ौफ़ दिखाकर जरूर लूट रहे है । इस गांव में अपने नियम ही चलते है कुछ साल पहले एक नियम यहां बना दिया गया कि बाहरी लोगों को रात को यहां रुकने नही दिया जाएगा ।मलाणा के लोग देवताओं को मुखोटा बनाकर पर्यटकों को लूट रहे है मूर्ति ,मकान ,इंसान को हाथ लगाने से कैसे जुर्माना । मलाणा गांव में आज भी तालिबानी फरमान ही चलाये जा रहे है जिसमे दलित से लेकर पर्यटक पीस रहा है।कुल्लू जिला के ऐसे कई गांव /पंचायते आज भी ऐसी है जहां दलितों को अलग रास्तो से गुजर कर चलना पड़ता है दलित संगठनों ने विरोध भी किया था पर कोई हल ही नही निकल पाया । ये भारत का एक ऐसा कड़वा सच है जहां की तस्वीर बहुत ही भयानक नज़र आती है देव भूमि कुल्लू में आज भी तालिबानी फरमान जारी है जिस चक्की में दलित वर्ग पीस रहा है । मीडिया कभी इन इलाकों में घुसने की हिम्मत ही नही जुटा पाया कही देवता के खोफ से मीडिया डर जाता है तो कही इस मुद्दे को उठाने से पहले ही मीडिया खामोश हो जाता है । सच सामने है पर सच को उजागर करने वाला कोई नज़र ही नही आता है

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