मंडी के साथ ऊना भी पालेगा कड़कनाथ, जलग्रां में पोल्ट्री फार्म में रखे जाएंगे करीब 200 मुर्गे-मुर्गियां

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जलग्रां में पोल्ट्री फार्म में रखे जाएंगे करीब 200 मुर्गे-मुर्गियां, किसानों को मिलेगी जानकारी

आवाज़ जनादेश/ब्यूरो
हिमाचल में कृषि कारोबार व पशुपालन के लिए सबसे प्रसिद्ध जिला ऊना के किसान भी अब कड़कनाथ मुर्गों के बारे में जान पाएंगे, क्योंकि हिमाचल प्रदेश जिला मंडी के साथ-साथ ऊना में भी कड़कनाथ का फार्म खोलने जा रही है। इस फार्म की स्थापना पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के नेतृत्व में पशुपालन विभाग कर रहा है। पशुपालन विभाग द्वारा उपमंडल ऊना के जलग्रां गांव में स्थित सरकारी पोल्ट्री फार्म का मरम्मत कार्य जोरों पर चला हुआ है। इसके पूरा होने पर पशुपालन विभाग प्रदेश सरकार से कड़कनाथ मुर्गों को लाने के लिए 10 लाख रुपए के बजट की डिमांड करेगा। बता दें कि कड़कनाथ के मास का बाजार में 1100 रुपए किलो मूल्य है। इससे शुगर जैसी गंभीर बीमारियों के लोगों के स्वास्थ्य को लाभ मिलेगा।
इसमें अन्य पक्षियों के मुकाबले चार प्रतिशत अधिक प्रोटीन है। गौर हो कि मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ में पाए जाने वाले इस मुर्गे को अब हिमाचल में भी पाला जा सकेगा। इस मुर्गे का एक बच्चा 70 से 150 रुपए में मिलता है और एक अंडा करीब 40 से 50 रुपए में बिकता है। वहीं पशुपालन विभाग ऊना के उपनिदेशक डा. जेएस सेन ने कहा कि कड़कनाथ के पक्षियों को रखने के लिए जलग्रां में फार्म तैयार किया जाएगा, जिसमें 200 मुर्गे रखे जाएंगे। यह फार्म किसानों को कड़कनाथ के बारे में जानकारी देने के लिए बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए 10 लाख के बजट की जरूरत होगी, जिसकी प्रदेश सरकार से मांग की जाएगी। उधर, पशुपालन विभाग मंडी के उपनिदेशक डा. संजीव नड्डा ने कहा कि जिला मंडी के चौंतड़ा में खुलने वाली हैचरी की केंद्र सरकार से स्वीकृति मांगी गई है। जैसे ही स्वीकृति मिलती है, उस दौरान ही कड़कनाथ मुर्गों को लाने के लिए कार्य शुरू हो जाएगा। हालांकि अभी तक केंद्र से स्वीकृति मिलने का इंतजार किया जा रहा है। (एचडीएम)
मंडी के चौंतड़ा में बनेगी हैचरी
जिला मंडी के चौंतड़ा में सरकार द्वारा 2 करोड़ 16 लाख 79 हजार रुपए के बजट में कड़कनाथ का प्रोजेक्ट शुरू करने की स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजा है। चौंतड़ा में चल रहे पोल्ट्री फार्म को विकसित कर हैचरी हब बनाया जाएगा। इस हैचरी में करीब 3500 मुर्गे-मुर्गियां रखने की क्षमता होगी। इन्हें रखने के लिए दो-दो शैड का निर्माण किया जाएगा। नियम के अनुसार एक मुर्गे को रखने के लिए डेढ़ स्क्वेयर फुट की जगह की जरूरत होती है। हैचरी हब में मुर्गियों से प्राप्त अंडों से कड़कनाथ के चूजे तैयार किए जाएंगे। इसके बाद इन चूजों को पालने के लिए क्षेत्र के किसानों में वितरित किया जाएगा। इसके साथ यह चूजे पूरे हिमाचल के किसानों में बांटे जाएंगे। जहां किसानों द्वारा चूजों को पालने के बाद बाजार में उतारा जाएगा।

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