इंदौरा के मंड क्षेत्र के 37 गांवों के 973 गन्ना उत्पादक गन्ने की खेतीबाड़ी कर अपनी आजीविका का गुजारा कर रहे हैं। मंड एरिया के गन्ना उत्पादक 1991-92 से इंडियन सूकरोज़ लिमिटेड मिल मुकेरियां (पंजाब) से एग्रीमेंट के तहत गन्ने की फसल की सप्लाई करते आ रहे हैं तथा लगभग एक हफ्ते बाद मिल द्वारा सीजऩ 2020-21 की पीड़ाई शुरू होने वाली है तथा हिमाचल के 37 गांवों के 753 कृषक अपनी 3700 एकड़ गन्ने की तैयार फसल पंजाब में बेचने को तैयार बैठे हैं। इसकी अनुमानित राशि 40 करोड़ से भी अधिक है, लेकिन यह मिल पंजाब में होने के कारण पंजाब के गन्ना उत्पादकों को 325 रुपए प्लस 35 रुपए बोनस सहित 360 रुपए प्रति क्विंटल रेट का भुगतान करेगी, जबकि हिमाचल के गन्ना उत्पादकों को 325 रुपए प्रति क्विंटल ही दिया जाएगा, क्योंकि हिमाचली होने के कारण उनको पंजाब सरकार द्वारा दिए जाने 35 रुपए प्रति क्विंटल बोनस से वंचित होना पड़ेगा, जिस कारण किसानों में भारी निराशा व हिमाचल सरकार प्रति रोष है। 325 रुपए प्रति क्विंटल रेट पर मिल को गन्ना देना उनकी मजबूरी भी है, क्योंकि आसपास हिमाचल में कोई भी गन्ना फैक्टरी नहीं है, जहां पर किसान अपना गन्ना बेच सकें। इस प्रकार हिमाचली गन्ना उत्पादकों को पिछले कुछ वर्षों से करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, जबकि हिमाचल सरकार सहित कृषि मंत्री गन्ना किसानों की समस्याओं से बेखबर है।
इस प्रकार गन्ना उत्पादक संघर्ष और मजबूरी की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। इसी संदर्भ में गन्ना मिल के वाइस प्रेजिडेंट कैन संजय सिंह ने इंदौरा के ठाकुरद्वारा में मीटिंग कर बताया कि सीजऩ 2020-21 के सीजऩ में सभी उत्पादकों को 14 दिन के अंदर-अंदर पेमेंट की जाएगी तथा 19 नवंबर को ऊना के मैहतपुर में उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मंड के किसानों संग मुलाकात कर हिमाचली किसानों की 35 रुपए प्रति क्विंटल बोनस की समस्या से अवगत करवाया है। इस मीटिंग में किसान नेता ठाकुर अनूप ने हिमाचल सरकार से क्षेत्र में गन्ना मिल लगाने, पंजाब की तजऱ् पर बिजली बिल माफ करने तथा गन्ने का बराबर रेट देने की हिमाचल सरकार से मांग भी की है। हिमाचल के नेता शिमला धर्मशाला में बैठकर कृषि की नीतियों को बनाते हैं, जो कि मंड एरिया के बिलकुल विपरीत होती है। सबसे पहले कृषि बिभाग के मंत्री को भूगोलिक दृष्टि समझनी होगी तथा उनके अनुकूल उनकी समस्याओं का हल करना होगा तभी किसानों की हालत सुधरेगी। अगर एरिया में हिमाचल सरकार कोई गन्ना फैक्टरी लगाती है, तो हिमाचल की आमदनी भी बढ़ेगी, किसानों की समस्याओं का हल होगा।