वन ,परिवहन और खेल मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर कल यात्रा का करेंगे शुभारंभ और सिहगाड तक जाएंगे
14/07/2019
आवाज जनादेश
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आज तक केसरी
हिमाचल प्रदेश
आनी
चमन शर्मा
खबर-मंडी डैस्क कार्यालय
आस्था और रोमांच का संगम हैं श्री खण्ड यात्रा……………………
कई जगह बर्फ ही बर्फ रास्ते हैं गायब
बर्फ की बजह से श्री खण्ड का चक्कर लगाना हैं इस बार कठिन
इन चीजों को ले जाए साथ छतरी जुते अच्छे बालें ,एक छडी ,पानी की वोतल,
वरसाती,आहिस्ता चलें जहां थक जाऐं आराम करें, चाम ,पांच की टोली में जाऐं
हिमालय की गोद में विराजमान श्रीखंड महादेव के दर्शन करना आसान नहीं है। यह जिला कुल्लू के आनी में है लेकिन निरमंड से होकर ही यहां पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिये पैदल ही चलना पड़ता है। दुनिया की सबसे दुर्गम धार्मिक यात्राओं में शामिल होने के बावजूद श्रीखंड यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यात्रा में पहुंचते हैं। कुल्लू जिला के आनी में यह इलाका है। निरमंड से श्रीखंड यात्रा के लिए 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है।
चढ़नी पड़ती है 18570 फीट की ऊंचाई
आम तौर पर कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे कठिन व दुर्गम धार्मिक यात्रा मानी जाती है। उसके बाद किसी का नंबर आता है तो वो है अमरनाथ यात्रा, लेकिन हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट की ऊचाई पर चढ़ना होता है और यहां पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक है। अमरनाथ से भी कठिन श्री खंड महादेव की इस यात्रा में रूह कांप जाती है।
सुंदर घाटियों के बीच से गुजरता है ट्रैक
18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड यात्रा के दौरान सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की भी कमी पडती है। श्रीखंड जाते समय करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देव शिलाएं हैं। श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं।श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है।श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता:
अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा चल ही नहीं सकता श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है