धर्मशाला, 13 जुलाई: नगर निगम धर्मशाला के मनोनीत पार्षदों ने आरोप लगाया कि महापौर, उपमहापौर और नगर निगम के अधिकारियों एवं पदाधिकारियों की आपसी मिलीभगत से निगम में बड़ा गड़बड़झाला चल रहा है। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जनता के पैसों का सरेआम दुरूपयोग किया जा रहा है। उन्हांेने कहा कि इस लूट-खसूट को जनता के सामने लाना जरूरी है।
उन्होंने शुक्रवार को धर्मशाला सर्किट हाऊस में एक प्रेस वार्ता करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा हाऊस बैठकें नहीं की जा रहीं, जिसके कारण नगर निगम द्वारा किये जा रहे कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बैठकों को नियमित रूप (प्रति माह कम से कम दो) से आयोजित करने के लिये समय-समय पर लिखित रूप से महापौर और आयुक्त के समक्ष मुद्दा उठाया गया है परन्तु अभी भी इसे लेकर कुछ नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि नगर निगम धर्मशाला द्वारा शहर की सफाई व्यवस्था को बनाये रखने के लिये मै0 विशाल प्रोटेक्शन फोर्स दिल्ली के साथ 24 दिसंबर 2016 को एक साल का अनुबंध किया गया था। जिसमें हर महीने 16 लाख 53 हजार 800 रुपए की अदायगी का टेंडर कंपनी को दिया गया। इस अनुबंध के अनुसार विशाल प्रोटेक्शन फोर्स द्वारा 140 कर्मचारी सफाई व्यवस्था के लिये नियुक्त किये जाने थे, परन्तु निरीक्षण के दौरान इस कार्य के लिये केवल 80 कर्मचारी ही मौके पर पाये गये, इसमें से भी विशाल प्रोटेक्शन फोर्स केवल 33 कर्मचारियों के ही पहचान पत्र दिखा पाया।
शहर में सुचारू सफाई व्यवस्था न बना पाने के बावजूद विशाल सिक्यूरटी का अनुबंध 3 वर्ष के लिये बढ़ा दिया गया। अनुबंध बढ़ाते समय बेहतर सफाई व्यवस्था ही मुख्य बिन्दु रहनी थी, लेकिन इस मुख्य बिन्दु को नजर अंदाज करते हुये समस्त पार्षदों की सहमति के बिना ही अनुबंध की अवधि बढ़ा दी गई।
नियमानुसार अनुबंध की शर्तों के अनुसार वांछित संख्या में सफाई कर्मचारी और कूड़ा कचरा के निस्तांतरण के लिये निर्धारित वाहन न रखने के लिये विशाल प्रोटेक्शन फोर्स पर आर्थिक दंड लगाया जाना था लेकिन इसके विपरीत फर्म को भुगतान किया गया और सेवा अवधि को भी बरकरार रखा गया।
नियुक्त कर्मचारियों को नियमानुसार फोटो पहचान पत्र जारी नहीं किये गये। नियुक्त किये गये कर्मचारियों की पुलिस पहचान भी नहीं करवाई गई। जिससे शिमला की तरह धर्मशाला शहर में भी रोहिंग्या शरणार्थियों के नियुक्त होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। पुलिस पहचान न करवाये जाने के कारण कभी भी शहर की सुरक्षा में सेंध लग सकती है जोकि आज के सन्दर्भ में बहुत ही गंभीर विषय है। शहर में सफाई व्यवस्था सुचारू न होने के चलते जहां देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के समक्ष शहर का विपरीत रूप दिख रहा है जिससे पर्यटन के प्रभावित होने के साथ ही शहर में विभिन्न बीमारियों के फैलने का खतरा भी लगातार बना हुआ है।
मनोनीत पार्षदों द्वारा शहर की लाचार सफाई व्यवस्था के बारे में निगम की हाऊस बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया और लिखित रूप से महापौर और आयुक्त को भी सूचित किया। इस पर आयुक्त ने आश्वासन दिया था की सफाई व्यवस्था के टेंडर को रिव्यू करके शीघ््रा ही नये टेंडर की व्यवस्था की जायेगी जोकि अभी तक नहीं की गई है। यह एक बहुत ही गम्भीर विषय है। जिसमें जनता के पैसे का बुरी तरह से दुरूपयोग हो रहा है।
नगर निगम के अधीन विभिन्न क्षेत्रों में लक्ष्य योजना के तहत सभी कुहलों का सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिये था, जोकि बजट खत्म होने पर बंद कर दिया गया और न ही केन्द्र सरकार से इन कार्यों के लिये बजट की मांग की गई तथा बिना किसी कारण के कुछ चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने के लिये कुछ स्थानों पर कुहलों का कार्य किया गया जबकि विरोधी पार्टी से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के घरों के पास निर्माण कार्य को अधूरा ही छोड़ दिया गया और कार्य को पूर्ण दिखा कर सम्बन्धित ठेकेदारों को भुगतान कर दिये गये।
नगर निर्माण द्वारा किये जा रहे विभिन्न निर्माण कार्यों में पारदर्शिता बनाये रखने के लिये आयुक्त और महापौर से लिखित रूप में निवेदन किया गया था कि किये जा रहे कार्यों को कार्यन्वित और निरीक्षण हेतु जन सहभागिता सुनिश्चित की जाये जिससे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित होने के साथ-साथ आम जनता में भी भरोसा कायम होगा। इस सन्दर्भ में अभी तक मनोनीत पार्षदों को कोई भी जानकारी नहीं दी गई है।
समय-समय पर नगर निगम में व्याप्त अनियमितताआंे को महापौर और आयुक्त नगर निगम के साथ विभिन्न मंचों पर उठाया गया पर अभी तक इस बारे में कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। नगर निगम के विभिन्न कार्याें को कार्यन्वित किये जाने के लिये यह आवश्यक है कि समय-समय पर हाऊस बैठक में विभिन्न कार्यों को अनुमोदित किया जाये लेकिन उचित व्यवस्था न होने के कारण निगम के अधिकारी भी कार्य करने में स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं।
नगर निगम एक्ट-1994 के प्रावधानों के तहत विभिन्न नगर निगम कार्यकलापों को अंजाम देना चाहिये लेकिन नगर निगम धर्मशाला में ऐसी कई अनियमिततायें पाई जा रही हैं जिससे शहर की विभिन्न व्यवस्थाओं को जनसहभागिता से पूर्ण रूप से कार्यान्वित नहीं किया जा रहा है।