जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन का रास्ता साफ, तकनीकी सदस्य की चयन प्रक्रिया पर लगी रोक भी हटी

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आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधीकरण में तकनीकी सदस्य के रिक्त पद को भरने के संबंध में 13 नवंबर 2024 के संशोधन को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज की, इसमें जो संशोधन किया गया है, वह किसी एक विशिष्ट समूह को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई प्रतीत नहीं होती है। ऐसी समान छूट पहले ही 10 अन्य राज्यों में अधिकारियों को दी जा चुकी है। अदालत के फैसले के बाद जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन का रास्ता भी साफ हो गया है। साथ ही तकनीकी सदस्य की चयन प्रक्रिया पर जो रोक लगी थी, वह भी बहाल हो गई है। जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन से कर से संबधित मामले सीधे तौर पर हाईकोर्ट में दायर नहीं कर पाएंगे।

महाधिवक्ता अनूप रतन ने बताया कि सरकार ने जो संशोधन किया है, उससे कर एवं आबकारी विभाग में काम कर रहे अनेक अधिकारियों को लाभ मिलेगा। इससे पहले केवल आईएएस ही इसके लिए पात्र थे। एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार ने जीएसटी परिषद को लिखा था कि तकनीकी सदस्य के तौर पर हिमाचल में किसी भी व्यक्ति ने ग्रुप ए या समकक्ष में 25 वर्ष की सेवा पूरी नहीं की। सरकार ने इसके लिए इसमें संशोधन करने के लिए जीएसटी को सिफारिश की। जीएसटी परिषद ने सरकार की सिफारिशों के तहत संशोधन करते हुए 7 जुलाई 2024 को एक प्रावधान जोड़ा, जिसके तहत हिमाचल के राज्य कर और आबकारी विभाग के वे अधिकारी राज्य पीठ में तकनीकी सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे, जिन्होंने राजपत्रित अधिकारी के रूप में 25 वर्ष की सेवा की है। याचिकाकर्ता ने सरकार की ओर जारी 21 नवंबर 2024 की अधिसूचना को खारिज करने की मांग की थी, जिसके तहत पात्रता मानदंडों में बदलाव किए गए हैं।

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