आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
हेरिटेज रेललाइन पर ब्रिटिश शासन में बनाए गए ब्रिजों को संजोए रखने के लिए रेलवे को पुरस्कार मिला है। कालका-शिमला लाइन के 869 छोटे-बड़े पुलों को रेलवे ने पूरी तरह से मेंटेन रखा है। खास बात ये है कि बीते 121 साल से नैरोगेज रेललाइन को ठीक उसी प्रकार रखा है, जैसा अंग्रेजों के समय में हुआ करता था। इसे देखते हुए ब्रिज शील्ड से रेलवे को सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार रेल मंत्रालय की ओर से दिया गया। पुरस्कार देने से पहले देशभर में सर्वे किया था। सर्वे में रेल मंडल अंबाला टॉप पर रहा है। पहली बार इस तरह का पुरस्कार रेल मंडल अंबाला को मिला है। 121 सालों में पुलों तक में कोई बदलाव नहीं आया है। इसी के साथ रेलवे स्टेशन पर भी कार्य ब्रिटिश काल की तर्ज पर ही चला हुआ है। ट्रेन को दूसरे स्टेशन के लिए पास देने के लिए भी पुराना सिस्टम ही चला हुआ है।
मल्टी-आर्क गैलरी ब्रिज
ट्रैक पर कनोह के पास मल्टी-आर्क गैलरी ब्रिज ब्रिटिश काल के समय तैयार किया गया। उस दौरान आर्क शैली में चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें तैयार किए। ये पुल को खूबसूरत बताती हैं। 1896 में रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली-अंबाला कंपनी को दिया गया था। 9 नवंबर 1903 को कालका-शिमला रेल मार्ग की शुरुआत हुई।
हरे-भरे पहाड़ों के बीच से निकलती है ट्रेन
ट्रॉय ट्रेन देवदार, चीड़, ओक और अन्य पेड़ों के जंगलों के बीच निकलती है। ऐसे में पहाड़ों की सुंदरता को लोग करीब से देखते हैं। रेल लाइन पर 103 सुरंगें हैं। इसमें बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है। पूरे रेलमार्ग पर 919 घुमाव आते हैं। तीखे मोड़ों पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है।
वर्ष 2023 की बरसात में पहुंचा था नुकसान
वर्ष 2023 में बरसात के दौरान रेल लाइन को नुकसान पहुंचा था। इस दौरान समरहिल के पास पुल ढह गया था। इस पुल को तैयार कर दिया है, लेकिन वह स्टील स्ट्रक्चर पर आधारित है। इसके अलावा अभी भी अंग्रेजों के समय की धरोहर चली हुई है।अंबाला मंडल को ब्रिज शील्ड से सम्मानित किया गया। इसमें कालका-शिमला रेललाइन का सहयोग भी है। ब्रिटिश काल के दौरान रेललाइन का निर्माण हुआ था।