आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में सिंदूर की खेती का पहला व सफल उत्पादन हुआ है। जिला सिरमौर के कोलर में अग्रणी किसान गिरधारी लाल जो कि बिजली बोर्ड से एक्सईएन पद से रिटायर हुए ने सिंदूर की खेती का सफल प्रयोग किया है। उनका दावा है कि हिमाचल प्रदेश में यह पहला सफल उत्पादन है, जिसको ऑन-स्पॉट देखने के लिए मंगलवार को खुद चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वाइस चांसलर, डायरेक्टर रिसर्च व अन्य वैज्ञानिक पहुंचेंगे। कोलर में अग्रणी किसान व हर्ब कंपनी के फाउंडर डायरेक्टर गिरधारी लाल ने चंदन की खेती के साथ-साथ 20 सिंदूर के प्लांट भी लगाए। वहीं खुशकिस्मत यह रही कि सिंदूर के पौधों ने दो वर्षों में ही बेहतरीन रिजल्ट दिए, जबकि अब सिंदूर का फल तैयार हो चुका है। अग्रणी किसान बताते हैं कि सिंदूर का पौधा चार वर्षों में पूरी तरह से उत्पादन के लिए तैयार हो जाता है।
साल 1988 में काठमांडू में देखी थी सिंदूर की खेती
गिरधारी लाल ने सिंदूर के 20 पौधों से ही सफल उत्पादन लिया है। इस वर्ष सफलता को देखते हुए 55 पौधे ओर लगाए गए हैं। अग्रणी किसान ने वर्ष 1988 में नेपाल के काठमांडू में इस सिंदूर की सफल खेती देखी थी। तब से ही उनका सपना जिला सिरमौर में भी सिंदूर की खेती करने का था। अब बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त होते ही उन्होंने खेती के शौक को पूरा करने के लिए पूरा प्रयास लगा दिया। चंदन के पौधों की सफल खेती के साथ विगत दो से तीन साल पूर्व सिंदूर के प्लांट भी प्रयोग के तौर पर लगाए जिसका प्रयोग सफल रहा। मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर व रिसर्च डायरेक्टर व अन्य वैज्ञानिक आएंगे।
सिंदूर की कॉस्मेटिक उद्योग में भारी डिमांड
गौर हो कि प्राकृतिक सिंदूर का जहां कॉस्मेटिक उद्योग में भारी मांग रहती है। महिलाएं अपने सुहाग के प्रतीक के लिए इसी सिंदूर की मांग भरती है। स्किन के लिए प्राकृतिक तौर पर कोलर में उत्पादित हुआ सिंदूर कितना उपयुक्त है। इसके लिए बाकायदा सरकार से सर्टिफाइड लैब से टेस्ट भी करवाया गया जो कि पूरी तरह से उपयुक्त साबित हुआ।