अपफ्रंट प्रीमियम न देने पर हिमाचल भवन की संपत्ति अटैच करने के आदेश

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आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला

हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने सेली कंपनी को 64 करोड़ रुपए अपफ्रंट प्रीमियम अदा न करने पर हिमाचल भवन नई दिल्ली की संपत्ति अटैच करने के आदेश पारित किए। साथ ही कंपनी को अपफ्रंट प्रीमियम 7 फीसदी ब्याज समेत याचिका दायर होने की तारीख से देने को कहा है। अदालत ने प्रधान सचिव ऊर्जा को 15 दिन में जांच कर पता लगाने को कहा है कि किन दोषी अधिकारियों की चूक के कारण राशि जमा नहीं की गई। ब्याज की राशि दोषी अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से वसूल करने को कहा है। इस मामले की सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।

बता दें कि वर्ष 2009 में सरकार ने कंपनी को 320 मेगावाट का बिजली प्रोजेक्ट आवंटित किया था। यह प्रोजेक्ट लाहौल स्पीति में लगाया जाना था। सरकार ने उस समय प्रोजेक्ट लगाने के लिए बीआरओ को सड़क निर्माण का कार्य दिया था। समझौते के अनुसार सरकार ने कंपनी को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवानी थीं, ताकि कंपनी समय पर प्रोजेक्ट का काम शुरू कर सके। कंपनी ने वर्ष 2017 में हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की।

कंपनी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि प्रोजेक्ट लगाने के लिए मूलभूत सुविधाएं न मिलने के कारण प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा और वापस सरकार को दे दिया। इस पर सरकार ने अपफ्रंट प्रीमियम जब्त कर लिया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को सेली कंपनी को 64 करोड़ अपफ्रंट प्रीमियम वापस लौटाने के आदेश दिए। सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ एलपीए दायर कर दी है।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ने साधा निशाना

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के सम्मान का प्रतीक कहे जाने वाला हिमाचल भवन को आज कुर्क करने का आदेश हो गया है। इससे बड़ी शर्म की स्थिति प्रदेश के लिए और क्या हो सकती है। प्रदेश की इज्जत मुख्यमंत्री और उनकी सरकार ने तारतार कर दी है। हिमाचल आज नीलामी की दहलीज पर खड़ी है। प्रदेश सरकार में प्रदेश के हाइड्रो प्रोजेक्ट और पूरे प्रदेश को बर्बाद कर दिया है। पूरे देश के हाइड्रो पावर का एक चौथाई बिजली उत्पादन हिमाचल प्रदेश में होता है जिसे और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन हर दिन सरकार अपनी तानाशाही से कोई न कोई अव्यवहारिक नियम लाकर बिजली उत्पादन की संभावना को खत्म कर रहे हैं, जिससे यहां पर निवेशक ना आए। निजी सेक्टर के साथ सरकार ने केंद्र सरकार के उपक्रम जो हाइडल बिजली उत्पादित करते हैं उन्हें भी रोकने की कोशिश की गई है।

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