आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
मुख्य संसदीय सचिवों के हटने के बाद अब उनकी कोठियां और कार्यालय खाली हो गए हैं। अब इन पर सरकार में बैठे कैबिनेट रैंक और निगमों-बोर्डों के कई अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नजरें हैं। इनको पाने के लिए नेता जुगत भिड़ा रहे हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार की ओर से कार्यालय और कोठियों के आवंटन के आदेश जारी नहीं किए गए हैं। वहीं, सीपीएस से वापस ली गई 45 लाख की फॉच्यूर्नर के लिए भी जुगाड़ शुरू हो गया है।
सरकार ने लिया है ये फैसला
हालांकि, सरकार ने फैसला लिया है कि ये महंगी गाड़ियां किसी भी अधिकारी, अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को नहीं दी जाएगी। इन्हें पूल में रखने का फैसला लिया है। जरूरत पड़ने पर इन्हें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व अन्य वीवीआईपी के काफिले के साथ भेजा जाएगा। पूर्व मुख्य संसदीय सचिवों ने सचिवालय में कार्यालय खाली कर दिए हैं। गाड़ियों की चाबियां भी सचिवालय सामान्य प्रशासन को सौंप दी हैं। कोठियों को भी खाली किया जा रहा है।
कोठियों के लिए जुगत भिड़ा रहे
सरकार में ऐसे कई निगम और बोर्डों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व कैबिनेट रैंक के नेता, जिनको आवास का आवंटन नहीं हुआ है। कुछेक को सचिवालय प्रशासन की ओर से आवास अलॉट किए गए हैं, लेकिन टाइप फाइव दिए गए हैं। अब यह टाइप फाइव को छोड़कर कोठियों के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं। आयुष मंत्री गोमा अभी बिना कोठी के आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा अभी बिना सरकारी कोठी के हैं। हालांकि सचिवालय सामान प्रशासन की ओर से उन्हें कोठी का आवंटन किया गया है।
सचिवालय में कार्यालय चाहते है अध्यक्ष-उपाध्यक्ष
लेकिन यह कोठी किसी और के पास है। बताया जा रहा है कि 25 नवंबर को यह कोठी खाली हो रही है। ऐसे में आयुष मंत्री कोठी में शिफ्ट हो सकते हैं। प्रदेश सरकार के निगम और बोर्डों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी सचिवालय में कार्यालय चाह रहे हैं। सचिवालय के अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया जा रहा है।