एनएचएआई ने कसी कमर, 68 सुरंगों का होगा निर्माण; 50 फीसदी की डीपीआर तैयार
आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला
नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट निर्माण में अब देरी नहीं होगी। आगामी तीन साल में हिमाचल को पर्यटक राज्य के तौर पर अपनी-अपनी अहम भूमिका निभाएगा। कीरतपुर-मनाली एनएच को फोरलेन में बदलने के बाद दूसरा कदम राज्य की राजधानी को चंडीगढ़ से जोडऩे का उठाया जाएगा। कालका-शिमला के बीच परवाणू से कैंथलीघाट तक फोरलेन का निर्माण अंतिम दौर में है, जबकि शिमला बाइपास निर्माण की भी शुरुआत हो चुकी है। आगामी अढ़ाई से तीन साल में शिमला बाइपास का निर्माण पूरा होने की संभावना है। यह बात एनएचएआई के नए क्षेत्रीय अधिकारी कर्नल अजय सिंह ने कही है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाएगा और किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा। कर्नल अजय सिंह ने बताया कि आपदा से सबक लेते हुए डीपीआर तैयार की जा रही है। फोरलेन में 68 सुरंग प्रस्तावित हैं।
इनमें 50 फीसदी से ज्यादा की डीपीआर तैयार की जा चुकी है और केंद्र सरकार से इनकी मंजूरी ली जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल हुई बरसात की वजह से ब्यास नदी के पास आसपास नेशनल हाई-वे को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। यहां अब कैसे सुधार किया जा सकता है इस पर विचार किया गया है और विशेषज्ञों की राय के अनुसार भविष्य में निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्यास नदी के प्रति कारण को लेकर केंद्र सरकार भी गंभीर है। इस बारे में राज्य सरकार से लगातार वार्तालाप चल रहा है। ब्यास नदी के एक छोर पर सरकार की जमीन है, तो दूसरे छोर पर नेशनल हाई-वे है। जब तक नदी ने तटीयकरण की व्यवस्था नहीं हो जाएगी नुकसान को पूरी तरह से रोक पाना आसान नहीं होगा।