हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (त्रिलोक गुट) ने शुक्रवार को शिमला में बैठक की और सरकार से जेसीसी बुलाने की मांग की।
हिमाचल में कर्मचारी राजनीति गरमा गई है। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (त्रिलोक गुट) ने शुक्रवार को शिमला में बैठक की और सरकार से जेसीसी बुलाने की मांग की। इस दौरान कर्मचारियों की लंबित 70 मांगों पर चर्चा हुई। मुख्य तौर पर कर्मचारियों के लंबित डीए, नए स्केल के सभी वित्तीय लाभ, विभागों में रिक्त पड़े पद को भरने के लिए सरकार से मामला उठाने का प्रस्ताव पारित किया गया। त्रिलोक ठाकुर ने कहा कि कर्मचारियों के मुद्दों को लेकर सरकार से शीघ्र संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक बुलाने का मामला उठाया जाएगा।
अधिकांश कर्मचारियों की समस्या का समाधान जेसीसी में ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि विभागों में कर्मचारियों के काफी रिक्त पद चल रहे हैं। कर्मचारियों को मिलने वाले वित्तीय लाभ नही मिल रहे है। जेसीसी की बैठक सरकार बुला नहीं रही है। इन सभी मसलों पर चर्चा कर आगामी रणनीति तैयार की है। कर्मचारियों के संशोधित वेतनमान 2016 की लंबित देनदारियों का शीघ्र निपटारा करने, महंगाई भत्ते की लंबित किस्तों को निपटाने बारे, विभागों में रिक्त पड़े पदों को जल्द भरने सहित 70 अन्य मांगों पर भी चर्चा हुई।
प्रदीप गुट भी कर चुका है बैठक
इससे पहले शिमला में कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष (प्रदीप ठाकुर) गुट भी बैठक कर चुका है। इसके जवाब में शुक्रवार को त्रिलोक ठाकुर गुट ने शक्ति प्रदर्शन करने के लिए सम्मेलन बुलाया। इसमें महासंघ के राज्य पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष, कार्यकारिणी और विभिन्न विभागों के अध्यक्षों, सचिवों और अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस गुट ने भी सरकार के समक्ष मान्यता देने के लिए दावा करने का फैसला लिया है। शीघ्र ही ये भी मुख्यमंत्री के समक्ष जेसीसी की मांग को लेकर मिलेंगे।
ये कर्मचारी नेता रहे मौजूद
इस सम्मेलन में प्रदेश उपाध्यक्ष ध्रुव सिंह भूरिया, महासचिव राजीव चौहान, संयुक्त सचिव हरिंद्र मेहता, उपाध्यक्ष एडी मौहान, रेखा मेहता, लोकिंद्र चौहान, भवानी, अजय जरपाल, संतोष शर्मा, सुरेंद्र नड्डा, दीपक ठाकुर, रविंद्र ठाकुर, संजीव भारद्वाज, नरवीर शर्मा, नरेश वत्स, राजीव नेगी, राजेश राव, नृपजीत सिंह ठाकुर मौजूद रहे।
बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए दी राशि नाकाफी : वीरेंद्र
अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि भारत सरकार ने हाल ही में जो 48.21 लाख करोड़ का बजट अनुमोदित किया है, इसमें शिक्षा के क्षेत्र में सिर्फ 1.48 लाख करोड रुपये का बजट निहित किया गया है। चौहान ने कहा कि शिक्षा के लिए जो बजट निहित किया गया है वह कुल जीडीपी का मात्र 3.06 फीसदी है। कोठारी कमीशन और नेशनल एजूकेशन पॉलिसी में भारत सरकार ने 6 फीसदी जीडीपी के बजट को शिक्षा पर खर्च करने की बात कही है, इससे पहले पिछले वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आश्वासन दिया था कि शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6 फीसदी तक के खर्च को बढ़ाने की आगामी बजट में कोशिश करेंगे। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी लेकिन पिछले साल के कुल बजट के 2.9 फीसदी बजट को केवल 3.06 फीसदी तक ही बढ़ाने में मोदी सरकार समर्थ रही, जो शिक्षा के क्षेत्र के लिए काफी नहीं है।
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