एक छोटा राज्य होने और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल ने अपनी लक्षित पात्र जनसंख्या को कोविड टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया है। अब हिमाचल प्रदेश मातृ एवं शिशु को बेहतर पोषण प्रदान करने का लक्ष्य प्राप्त कर देश में अग्रणी बनकर उभरा है। यह बात राज्य सरकार और नीति आयोग द्वारा पोषण व सहकारी संघवाद विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कही।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य, एक स्वस्थ समाज और समृद्ध हिमाचल के लिए महत्त्वपूर्ण है और इस बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश में एक विशेष अभियान शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पोषण को एक जनांदोलन बनाने के लिए जमीनी स्तर पर और अधिक जागरूकता लाने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार ने पोषण जागरूकता के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया है और अब 18,925 आंगनबाड़ी और 5,99,643 लाभार्थियों को पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत किया जा रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि नीति आयोग द्वारा आयोजित यह कार्यशाला पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर चर्चा के अतिरिक्त विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के पास लंबित मामलों के निपटान में भी सहायक सिद्ध होगी।
हिमाचल में एनीमिया चिंता का कारण
नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल ने हिमाचल प्रदेश में आकांक्षात्मक पोषण परिणाम प्राप्त करना विषय पर विस्तृत प्रस्तुति दी। राज्य सरकार के प्रयासों से गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन फोलिक एसिड को दोगुना करने से प्रदेश में बेहतर एनीमिक परिदृश्य सामने आया है। उन्होंने कहा कि राज्य ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रगति की है, लेकिन एनीमिया की समस्या चिंता का विषय बनी हुई है। उन्होंने कम वजन वाले शिशुओं पर विशेष अभियान शुरू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक ओआरएस और जिंक द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को पूर्णत: शून्य करना है। वर्तमान में पूरक आहार के लिए जन आंदोलन और एनीमिया मुक्त हिमाचल मिशन को तेज करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने वर्ष 2023-24 तक राज्य को टीबी मुक्त बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।