आवाज़ जनादेश/शिमला
भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं विज्ञान बहु-विषयक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य समन्वयक डॉ0 बृजेश चौहान ने बताया कि भारत देश का शिक्षा सूचकांक सीईओ(CEO) पत्रिका के हिसाब से 33 नंबर पर है। 2020 के डाटा के अनुसार चाइना ने 14 लाख, अमेरिका ने 6 लाख और भारत ने 5 हजार पेटेंट फाइल किए हैं।मानव विकास सूची जोकि स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थव्यवस्था को दर्शाती है, उस में भारत विश्व में 131 नंबर पर है। हेल्थ केयर सूची के अनुसार भारत विश्व में 40 नंबर पर है, जबकि अमेरिका, इंग्लैंड, रशिया, चाईना व जर्मनी के ये आंकड़े भारत से ज्यादा अच्छे हैं। भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए हमें अपनी प्राचीन परंपराओं व वैदिक ज्ञान के साथ-साथ उन्नत एवं विकसित देशों से जानकारी को ग्रहण करके साझा करना चाहिए। भारत ने विज्ञान के नए आयाम को छुआ है जिसमें आर्यभट्ट की शून्य की बड़ी खोज शामिल है। सी0 वी0 रमन, हरगोविंद खुराना, सुब्रमण्यम, चंद्रशेखर जैसे नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के कार्यों की दुनिया ने सराहना की है। इसके साथ भौतिकी और गणित के क्षेत्र में श्रीनिवास रामानुजन, एसएन बोस, केकेएस चंद्रशेखर जैसे वैज्ञानिकों ने दुनिया का मार्गदर्शन किया है।
विज्ञान के क्षेत्र में जिन अन्य वैज्ञानिकों ने नई दिशा दी उनमें एम0एस0 स्वामीनाथन (जेनेटिक्स), राज रेडी (artificial intelligence) के कार्यों को भी दुनिया ने सराहा है। डॉ0 चौहान ने कहा है कि इंसान का दिमाग कितनी ज्यादा क्षमता रखता है इसका उदाहरण राजस्थान की वंशिका शर्मा (mathematics) और रिया जांगड़ा (हरियाणा) ने हाल ही में प्रस्तुत किया है। भारत के सभी वैज्ञानिकों के कार्यों के साथ-साथ हमें न्यूटन, डार्विन, स्टीफन हॉकिंग अल्बर्ट आइंस्टाइन, मैडम क्यूरी इत्यादि वैज्ञानिकों से भी प्रेरणा लेनी चाहिए। वैज्ञानिक फ्राइडे ने दुनिया को बिजली पैदा करने का सिद्धांत दिया जिससे विज्ञान में एक नए युग का प्रारंभ हुआ। भारत के वेदों में महर्षि चरक व सुश्रुत सेन जैसे ऋषियों द्वारा चित्रित विज्ञान संबंधित ज्ञान के बारे में भी हमें सोचना पड़ेगा और वेदों की मदद से हम भारत को फिर से विश्व गुरु बना सकते हैं।
संस्कृति की बात करें तो भारत ने दुनिया को बहुत सारी नई चीजें दी है। जीवन को स्वस्थ एवं संतुलित कैसे रखें। आदर्श मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए सेवा, त्याग परोपकार आपसी भाईचारे सत्य अहिंसा इमानदारी जैसे सांस्कृतिक मूल्यों के साथ जीवन जीवन जिएं ।
भारत की परंपरा के संबंध में उन्होंने कहा कि वाराणसी के अघोरी साधु, उड़ीसा का चाहो डांस, हिमाचल की नाटी,पंजाब का भांगड़ा अति प्रसिद्ध प्रसिद्ध हैं। और कहा कि थिमिथी आका (मतलब आंख पर चलना होता है) परंपरा अभी भी तमिलनाडु में प्रचलित है। विभिन्न देवी-देवताओं सांप, हनुमान व गणेश की पूजा करने की भी भारतीय संस्कृति में परंपरा है। आभूषण पहनना, हाथ से खाना खाना, व्रत रखना व सूर्य नमस्कार करना भी भारत की परंपराओं में शामिल हैं। हमारे भारत देश में इजरायल की तरह दीवारों पर खेती की तो जरूरत नहीं है लेकिन खेतों में ऐसे फल – अनाज एवं जड़ी- बूटियां पैदा करने की आवश्यकता है, जिसका सेवन करने से ऋषि- मुनि सैकड़ों वर्ष तक स्वस्थ व ऊर्जावान जीवन जिया करते थे।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से पूर्व 5 से 11 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन डॉ0 बृजेश, डॉ0 अनीता, डॉ0 ललिता चंदन, डॉ0 विदा राठौर, डॉ0 चंद्रभान डॉक्टर, संदीप खंडेलवाल व डॉ0 लाभ सिंह की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें भारत से पल्लवी ठाकुर, मनोज शर्मा, प्रो0 अश्विनी ठाकुर, युवा वैज्ञानिक राजन रोल्टा, डॉ0 रविंदर कौर, मीनाक्षी, डॉ0 निशा चौहान, नीनू शर्मा कोकिला चौहान, नेहा, तमन्ना, चंद्र वर्मा, शोभा, पवन शर्मा (LST), डॉ0 बृजेश सिंह, डा0 ललिता रावत, रूपलाल, रविंद्र जग्गी, नीरज गुप्ता, मनीषा कोहली, डॉ0 रविंद्र चौहान, स्वतंत्र सिंह, डॉ0 आर एल शर्मा, राजकुमार संजता, रुचिका चौहान, डॉ0 पूजा जोहरी और डॉक्टर विकास ने अलग-अलग विषयों पर विचार रखें। इसके साथ – साथ आदित्य मोर्केल (जर्मनी) डॉ0 सुखविंदर रंधावा (कनाडा), बीट्राइस (Sweden), डॉ0 आयरन धनिलोवो (मॉस्को), अपेरना (इटली), डॉ0 जाइरो (कोलाउंबिया), मुस्तक पाल कौर (London), नूपुर तिवारी (जापान), डॉ0 इशू (दुबई) ने अपने शोध को साझा किया।
7 दिनों तक चली इस अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का संचालन प्रो0 हर्ष भारद्वाज, प्रो0 करण पठानिया, डॉ0 योजना ठाकुर, डॉ0 अरुण दफराईक, डॉ0 रविंद्र चौहान, डॉ0 पूजा जौहरी, डॉ0 विकास तथा डॉ0 रुचिका चौहान ने किया। अलग-अलग वक्ताओं ने स्वास्थ्य, शिक्षा, ब्लॉकचेन, आयुर्वेदा, मल्टीपल ड्रग रेजिस्टेंस व एंटीबायोटिक्स के उपयोग के संबंध में अपने अपने विचार प्रस्तुत किए तथा साथ-साथ लंदन, मॉस्को, टोक्यो इटली, कनाडा, जापान के बारे में भी रोचक व बहुमूल्य जानकारी दी।
इसके उपरांत 13 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। हिमालयन वन अनुसंधान शिमला में आयोजित इस कार्यक्रम में शहरी विकास मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज ने शिरकत की । डॉ0 बृजेश ने आरंभ में 3 दिनों तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में होने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला और विस्तृत में जानकारी दी तथा सभी गणमान्य लोगों के साथ साथ सभी शोधकर्ताओं का भी स्वागत किया।
इस सम्मेलन के अवसर पर डॉ0 सुनील गुप्ता (अध्यक्ष उच्च शिक्षा परिषद हिमाचल प्रदेश) ने नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों का वर्णन किया और विस्तार से इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की नई शिक्षा प्रणाली से देश में शिक्षा का विकास कैसे होगा और इस माध्यम से भारत को विश्व गुरु कैसे बना सकते हैं। इसके उपरांत डॉ0 सामंत (हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला) ने जैव विविधता पर अपने विचार रखें। इसके उपरांत पद्मश्री डॉ0 आरसी सोबती (पूर्व उपकुलपति पंजाब विश्वविद्यालय) ने मुख्य प्रवक्ता के तहत अपने विचार रखें। जिसमें उन्होंने ग्रंथों में लिखे गए ज्ञान की वैज्ञानिक दृष्टि से चर्चा की। इस रोचक चर्चा में सभी प्रतिभागियों का ज्ञान वर्धन हुआ।
शहरी विकास मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वैदिक पुस्तकों में महाभारत का वर्णन किया गया है जिसमें कई कल्पनाएं की गई है। उन्होंने भारत के गौरवमयी इतिहास से शिक्षा से लेकर विज्ञान- संस्कृति और परंपरा के साथ-साथ अच्छे समाज निर्माण के कार्य करने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आयोजकों को वैश्विक समस्या के चलते इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए प्रेरित किया और धन्यवाद किया। इस सम्मेलन में देश – विदेश के विख्यात शिक्षाविदों ने भाग लिया ।
इसके उपरांत सभी शोधकर्ताओं ने शाम 7:00 बजे तक अपने शोध पत्रों को लोगों के साथ साझा किया। शाम को 8:00 से 10:00 बजे तक दिन में हुई गतिविधियों पर सभी शोधकर्ताओं ने अपना अपना फीडबैक दिया।
14 नवंबर को विभिन्न सेमिनार में डॉ0 एस ए सामंत, डॉ0 जोगिंदर सकलानी डॉ0 वीके मट्टू, डॉ0 नीलम, जितेंद्र जांगड़ा,
मनोज शर्मा, डॉ0 अनीता ठाकुर डॉ0 बृजेश सिंह, डॉ0 सविता, डॉ0 महेंद्र ठाकुर, डॉ0 पवन राना, प्रताप सिंह, डॉ0 अरुण दफराईक, मि0 इकबाल, डॉ0 राज इंजीनियर, राजन रोल्टा, डॉ0 प्रीति गोयल, डॉ0 रतन इत्यादि शिक्षाविदों ने अपने शोध कार्य को प्रतिभागियों और वैज्ञानिकों के साथ साझा किया। इस अवसर पर डॉ0 वीके मटू अध्यक्ष किसान आयोग हरियाणा ने अपनी प्रस्तुति में जैव विविधता bio-diversity के बारे में अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि ग्लोबल क्लाइमेट चेंज व सस्टेनेबल एग्रीकल्चर प्रोडक्शन पर हिमालयन रिजन में 5 में से 30मिलियन पेड़ पौधों व जीव जंतु बायोडायवर्सिटी का हिस्सा है। भारत 18 मेगा डायवर्सिटी कंट्री में से एक है जो कि दुनिया की जैव विविधता में 8% का भागीदार है। दुनिया के 18 बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट में से चार भारत में है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता को प्रभावित करने के लिए पेस्टिसाइड डॉक्सीसिटी प्रदूषण ग्लेशियरों का पिघलना तथा ग्लोबल पर्यावरण परिवर्तन के कारण हैं। उन्होंने कहा कि बायोडायवर्सिटी हमारी आर्थिकी को प्रभावित करती है तथा हमें कीटनाशकों का कम प्रयोग करना चाहिए। जैविक खेती को प्रोत्साहन देना चाहिए और आर एं डी को सक्षम बनाना चाहिए।
इकबाल सिंह अलक ने भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में बेहद रोचक प्रस्तुति दी। उन्होंने भविष्य की आर्थिकी पर प्रकाश डाला और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से क्रिप्टोकरंसी की भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि 7. 7 बिलियन एडल्ट पापुलेशन में से तीन सौ मिलियन लोग ही अभी क्रिप्टोकरंसी का प्रयोग कर रहे हैं जोकि वर्ल्ड की पापुलेशन का 0. 5% है । क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन का वार्षिक रेट 2020 में 274 प्रतिशत था। इस अवसर पर डॉ0 नीलम मट्टू ने ग्लोबल क्लाइमेट चेंज पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने बायो रिसोर्सेज व शहद को प्राप्त करने के लिए हिमालयन रीजन में अनेक पेड़ – पौधों की जानकारी दी। उन्होंने शहर के पौष्टिक गुणों पर विस्तृत जानकारी दी तथा शुद्ध शहद के कई तरीकों पर प्रकाश डाला।
प्रसिद्ध कॉरपोरेट ट्रेनर पर्सनल डेवलपमेंट कोच व माइंडसेट आर्किटेक्ट मनोज शर्मा ने एक रोचक प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि विद्यार्थी समाज चेंजमेकर कैसे बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए स्किल सेट, टूल्सेट, राइट माइंड सेट की जरूरत होती है जिससे जिंदगी के लक्ष्य को साधा जा सकता है। एम आई एन डी एल ई आर एस माइनर के शोध में पाया गया है कि 93 फीसदी बच्चे केवल 7% करियर ऑप्शन के बारे में जानते हैं और जबकि लगभग 250 करियर ऑप्शंस विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध हैं जिसमें 5000 तरह की नौकरियां उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि स्किल डेवलपमेंट विभाग को विद्यार्थियों और अध्यापकों के लिए जागरूक अभियान हर महाविद्यालय में करने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में कल्चर कंडीशनिंग थींकनज़, सोशल एंटरप्रेन्योर पर काम करने की जरूरत है जबकि प्रचलित शिक्षा के कार्यक्रमों से हम केवल बायो रोबोट या बायो मशीन तरह के लोग पैदा कर रहे हैं जो जिंदगी के नए तरह के काम करने का साहस नहीं जुटा पाते। कल्चरल कंडीशनिंग से भारत के नौजवान या भारत की युवा पीढ़ी कई जाल में फस कर रह गई है जिसमें फैमिलीयर का डर, सोशल एक्सेप्टेंस का डर तथा यह भ्रम की और हम समाज से अलग आउटपेस्टड हो जाएंगे। इसलिए उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि नौजवान लोगों को नई दिशा में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 24 वर्ष के पहले पहले अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का प्रायोगिक अनुभव विद्यार्थियों को होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने पैशन को प्रोफेशन बनाना चाहिए और उसके बाद पूरी जिंदगी भर निर्धारित लक्ष्यों के लिए काम करना चाहिए।
समापन समारोह में राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला की प्रधानाचार्य डॉ0 निमिंदु शर्मा ने सभी शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों का स्वागत किया। इसके उपरांत मुख्य आयोजक डॉ0 विजय चौहान ने अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप तथा सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों से मंच पर आकर अपने अनुभव साझा करने को कहा। जिसमें रविंदर कौर, मावी सपोलिया, पलकीत कौर (Jammu), संध्या (हरियाणा), जयपाल प्रजापत (राजस्थान), अरुण दफरिक, सेजल पुंडीर (हिमाचल), मोस्ताजा नाजिमी
(अफगानिस्तान), ट्रस्ट(नाइजीरिया) ने इस सम्मेलन में अर्जित ज्ञान पर प्रकाश डाला। इसके उपरांत डॉ0 लाभ सिंह (प्रेसिडेंट साइंस एंड मैनेजमेंट सोसायटी) ने UNO द्वारा सतत विकास लक्ष्य पर चर्चा की तथा साइंस एंड मैनेजमेंट सोसायटी के द्वारा प्रायोजक विद्यालय, महाविद्यालय , विश्वविद्यालय, सीआई शोधार्थियों ने इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर भाग लिया और डॉ0 लाभ सिंह ने उनकी सफल भविष्य की कामना की और उन्होंने सरकार से हिमाचल में माइंड एंड बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन सेंटर खोलने के लिए अनुकूल वातावरण के बारे में चर्चा की तथा उन्होंने कहा कि सरकार के सहयोग से हिमाचल प्रदेश को दूसरा ओकिनावा (ब्लू जोन) बनाया जा सकता है। जहां पर लोग 100 वर्षों तक स्वस्थ और ऊर्जावान जीवन जीते हैं। इस अवसर पर उन्होंने यह भी आह्वान किया कि साइंस एंड मैनेजमेंट सोसायटी के द्वारा भविष्य में जड़ी-बूटियों की खेती करना विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के छात्र व शोधकर्ताओं के लिए मूवेबल लैबोरेट्री को स्थापित किया जाए।
इसके उपरांत डॉ0 साधना ठाकुर (उपाध्यक्ष रेड क्रॉस सोसायटी हिमाचल प्रदेश) ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इसके उपरांत डॉ0 सुनील गुप्ता ने अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों पर चर्चा की तथा 2030 तक इसे पूरी तरह लागू करने की बात कही। उन्होंने यह जानकारी दी कि सरकार का शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना एक सपना है जिससे कि हम भारत को कला संस्कृति और विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा है कि नई शिक्षा प्रणाली के लिए विद्यालय विश्वविद्यालय महाविद्यालय में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और शिक्षकों व छात्रों को इसके लाभ की जानकारी दी जा रही है। अंत में उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजकों की सराहना करते हुए उनके गौरवमई भविष्य की कामना की है।
अंत में डॉ0 साधना ठाकुर ने भारतीय पौराणिक ज्ञान पर प्रकाश डाला उन्होंने चरक संहिता में लिखे गए उपचारों को लोगों से साझा किया। साथ ही साथ उनका कहना है कि भारत में दवाइयों का बहुत दुरुपयोग हो रहा है। हमें चिकित्सक के बिना परामर्श के दवाइयों का उपयोग नहीं करना चाहिए। डॉ0 साधना ने भारतीय संस्कृति को प्रचलित करने की भी बात कही। डॉ0 ठाकुर ने भारत के गौरवमई इतिहास पर चर्चा की तथा नालंदा तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों की याद दिलाते हुए कहा कि उस जमाने में पूरी दुनिया के अनेकों देशों से शिक्षाविद व अन्य लोग ज्ञान को अर्जित करने के लिए भारत की ओर देखते थे। आज हमें इस पर बहुत चिंतन करने की जरूरत है भारत में अपने आप को विकसित देशों की तुलना में अपनी जगह कैसे बनाएं और इसके लिए उन्होंने पौराणिक ग्रंथों में वर्णित ऋषि मुनियों के किए गए कार्यों पर चर्चा की। उन्होंने आशा दिलाई कि आने वाले समय में प्रदेश व देश के युवा इस नई वैश्विक परिस्थिति में देश को समृद्ध और खुशहाल बनाने में रात और दिन मेहनत करेंगे। इसके उपचार उपरांत साधना ठाकुर ने होनहार शोधकर्ताओं को सम्मानित किया। जिसमें अरुण दफरई, सविता कुमार, डॉ0 सरोज भारद्वाज, डॉ0 मीनाक्षी शर्मा, डॉ0 महेंद्र ठाकुर, डॉ0 विकास सुमन, डॉ0 रविंद्र त्यागी, डॉ0 नीरज शर्मा सम्मानित किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में राजन रोल्टा को युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही साथ डॉ0 चंद्र, जोगिंदर सिंह, डॉ0 निशा चौहान, डॉ0 रविंदर को और डॉ0 इंदर ठाकुर, डॉ0 गोपाल चौहान, डॉ0 वंदना शर्मा, युवा शोधकत्री कोकिला चौहान , तमन्ना ठाकुर, नेहा भारद्वाज, नेहा शर्मा, सेजल पुंडीर, सरगम शर्मा, अनुष्का वर्मा, चाहत शर्मा, मावी सपोलिया, पलकीत कौर, संध्या, अनूपपुर वर्मा, आर्य, प्रांजल, अंकिता, ईतिका, रितिका, परीक्षित चौहान, कृतिका, प्रद्युमन, तान्या, चंचल शर्मा, अंबिका, कंवर, आशा शर्मा, प्रिया गुप्ता, सेजल चौहान, प्रांजल, व अवस्था को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ0 सामंत, डॉ0 ठाकुर, द पावर नाना को बेस्ट टीचर अवार्ड से नवाजा गया। साइंस एंड मैनेजमेंट सोसायटी हिमाचल प्रदेश मैं 2020 में चयनित हिमाचली प्रसिद्ध लोक गायक मोहन सिंह चौहान, अश्विनी शर्मा (शारीरिक शिक्षा), डॉ0 बृजेश सिंह व राजन रोल्टा को राष्ट्रीय हिमालयन एक्सीलेंस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।