आवाज जनादेश/ब्यूरो
शूलिनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता राजन रोल्टा और दीक्षा सलारिया का कहना है कि
रेवंदचीनी, वन अजवाइन और आर्टिमिसिया में पाए जाने वाले कंपाउंड्स कोरोना वायरस के लिए कारगर है। राजन रोल्टा और दीक्षा सलारिया ने अपने शोध में पाया की रेवंदचीनी में पाया जाने वाला एमोडिन, वन अजवाइन मे पाया जाने वाला थायमॉल और कार्वाक्रोल एवम आर्टिमिसिया मे पाया जाने वाला आर्टेमिसिनिन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को रोकता है जिससे इंसानों में संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
रोल्टा और सलारिया ने कहा की रेवंदचीनी 2000 से 4000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है और यह चूखरी व आर्छा के नाम से प्रसिद्ध है वन अजवाइन 1700 से 3700 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। इस शोध में शूलिनी विश्वविद्यालय के डॉ विकास, डॉ कमल देव, डॉ अनुराधा, भानु शर्मा, हंसराज महाविद्यालय दिल्ली के डॉ बृजेश राठी, प्रेमप्रकाश शर्मा और वेंकटेश्वर महाविद्यालय दिल्ली की डॉ मानसी वर्मा ने सहयोग किया। इनका यह शोधप्त्र करंट फार्माकोलॉजी रिपोर्ट्स में प्रकाशित है।
राजन रोल्टा का कहना है की वो शोध के साथ साथ लोकहित संस्थान एवं त्रिदेव औषधीय उत्पादन सोसायटी रोहल के साथ मिल कर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाले औषधीय पौधे ऊगा रहे । शूलिनी विश्वविद्यालय के राजन रोल्टा और दीक्षा सलारिया ने सभी लोगो को औषधिय पौधे लगाने की सहला दी और कहा इच्छुक व्यक्ति औषधीय पौधों के लिए त्रिदेव औषधीय उत्पादन सोसायटी रोहल से संपर्क कर सकते हैं।