खून खोल रहा है नस नस में
वह भेड़िए थे हाथरस में
नन्ही सी जान को था दबोचा
चील कौओं की तरह था नोचा
मासूम वह चिल्लाई होगी
जान पर बन आई होगी
होश में जब आई होगी
जुबान ना उसकी चल पाई होगी
शायद मां-बाप का थी वह सहारा
खत्म हो गया उनका संसार सारा
अपराध अब यह बढ़ते ही जाते
यह खूनी दरिंदे कैसे पैदा हो जाते
कैसे भला हम खुद को समझाएं
कैसे अब बेटी बचाएं और पढ़ाएं
कब तक झेलेगी मासूम बेटीयाँ यह मार
क्या सिर्फ वोट बैंक के लिए है सरक़ार
सोनू अवस्थी गांव घरथूं
पालमपुर जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश