संघ परिवार व राष्ट्रवाद ही है धर्म- भट्ट

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आवाज़ जनादेश से विशेष वार्ता
हिमाचल प्रदेश सचिवालय में सन 1999 से आज दिन तक अतिरिक्त विधि परामर्शी एवं अतिरिक्त सचिव विधि के पद पर तैनात राजेन्द्र भट्ट का नाता संघ परिवार से बना रहा। निडर हो कर सदा ही माँ भारती व स्वामी विवेकानंद जी का चित्र अपनी कुर्सी के पीछे शोभयमान रहता है । प्रदेश सचिवालय में कई सरकारो की अदलाबदली को देखा भी है और काम भी किया है।अपने काम से खुद की पहचान भट्ट साहब ने इतनी बनाई है जिनकी प्रशंसा हर सत्ताधारी नेता करते आए है।यहाँ टेबल पर अक्सर फाइलों के ढेर इक्कठा करना सचिवालय का मानो रिवाज़ हो परन्तु भट्ट साहब को ये सब पसन्द नही इनका टेबल हमेशा 5 बजे से पहले साफ रहता है,मानो अपने कार्य को ही राष्ट्र धर्म बना लिया हो। 11अक्टूबर 1960 को तारा देवी शिमला के एक ब्राह्मण परिवार में इनका जन्म हुआ। इनके पिता पंडित कांति प्रसाद शास्त्री जी सनातन धर्म,ज्योतिष एवं वेदों के ज्ञाता हैं।जिन्होंने शिमला में नव निर्मित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में अपना प्रत्यक्ष सहयोग दिया व उन्हें इस देवालय के प्रथम पुजारी होने का सौभाग्य अपने गूरु नीबकरोरी बाबा जी के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ। भट्ट जी की प्रारम्भिक शिक्षा पहली से पांचवी तक कन्या प्राइमरी पाठशाला तारादेवी, छठी से आठवीं तक मिडिल स्कूल टूटीकंडी व नवीं दसवीं की पढ़ाई लालपानी स्कूल से पूरी हुई। इन्होंने स्नातक की डिग्री महाविद्यालय नाहन से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ प्राप्त करने के उपरांत हिमाचल विश्वविद्यालय से एम कॉम, एम ए हिंदी तथा LLB की शिक्षा उतीर्ण की। इस दौरान इन्होंने राष्ट्रवाद की विचारधारा से ओतप्रोत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में सक्रिय सदस्य की भूमिका भी निभाई। उसी दौरान स्वर्गीय सुनील उपाध्याय, जगत प्रकाश नड्डा, महेंद्र पान्डे, कृपाल परमार, सुरेश चंदेल सहित बहुत से कार्यकर्त्ताओं के साथ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की पहली जीत हिमाचल विश्वविद्यालय में हासिल की थी। जिसमें जगतप्रकाश नड्डा जी को अध्यक्ष चुना गया था ।आज यह संगठन पूरे प्रदेश के महाविद्यालयों में, अपना परछम लहराने में सफल हुआ है ।
1986 में जिला न्यायालय नाहन में सिविल एवं क्रिमिनल के क्षेत्र में 12 बर्ष तक वक़ालत करने के बाद हिमाचल सचिवालय के लिए हिमाचल सेवा आयोग में, प्रथम स्थान हासिल करने के उपरांत विधि अधिकारी नियुक्त हुए। सचिवालय में अधिवक्ताओं से चयन का प्रथम गौरव इन्हें प्राप्त हुआ है। नोकरी के दौरान भी हिन्दुत्व व संघ परिवार से इनका अटूट संबंध बना रहा जो आज दिन तक भी गतिमान है हिन्दुत्व के प्रमुख पहरी के रूप में। कानून के ज्ञाता होने के साथ-साथ सचिवालय की हर ईंट को पहचानने की क्षमता व अनुभव इनके पास है। भट्ट जी सद्भावनात्मक दृष्टि से भी जनभावनाओं को भली भाँति जानते हैं। भाजपा व कांग्रेस सरकारों को इन्होंने आते जाते देखा है। सरकार की किस पद्धति को सकारात्मक सोच के साथ जनकल्याण के लिए प्रयोग करना है इस अनुभव को दरकिनार नहीं किया जा सकता। यदि सरकार स्वयं व जनता के बीच खुद को बनाए रखना चाहती है व 2022 में रिपीट की इच्छा रखती है तो ऐसे कर्मठ व सुयोग्य अधिकारियों को जिनके पास 34 वर्षों का कानून व प्रशासन का लम्बा अनुभव है, को सरकार की मुख्यधारा से जोड़ना होगा।

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