पूर्वमुख्यमंत्री प्रो.प्रेमकुमार धूमल
शिंक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज
सतपाल सिंह सती के भी नाम चर्चा में
संवैधानिक तरीके से हो अध्यक्ष का चुनाव की मांग
आवाज़ जनादेश संवादाता
हिमाचल प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल के इस्तीफे के बाद आए राजनीतिक उफान के, बाद प्रदेश भाजपा में राजनीतिक सद्गर्मियाँ तेज हो गई है। हिमाचल प्रदेश के संगठन से लेकर सचिवालय के गलियारों तक इसकी आंच महसूस की जा सकती है।जहाँ एक ओर कार्यकर्ताओं के बीच बैठकों का दौर जारी है तो वहीं दूसरी ओर खुली चर्चा व अनुमान लगाए जा रहे है भाजपा का नया मुखिया हिमाचल में ही चुना जाएगा या फिर दिल्ली दरबार से पूर्व की भाँती नामित किया जाएगा ।
स्वास्थ्य विभाग में कथित भ्रष्टाचार के बाद संगठन और सरकार के बीच तालमेल अभाव जगजाहिर हुआ वहीं प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर भी विपक्ष ने उंगलियां उठानी शुरू कर दी है। विपक्ष को भाजपा ने स्वयं ही सरकार को घेरने का हथियार दिया है । भले ही प्रदेश
भाजपा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने नैतिकता को आधार बनाकर अपना इस्तीफा दिया है पर इस त्यागपत्र से विपक्ष की उंगली सरकार पर तन है।
त्यागपत्र के उपरांत अब भाजपा का नेतृत्व किसको मिलेगी यह एक महत्वपूर्ण भाजपा कार्यकर्ताओं मे चर्चा का विषय है।
कुछ सीधा दिल्ली दरबार के नियुक्ति के पक्षधर है।वहीं कुछ बरिष्ट कार्यकर्ता चुनावी प्रकिया से अध्यक्ष के चुनावों की बात को जोर दे रहे है। सामान्य कार्यकर्ताओं का माना है कि अब आरोप भाजपा भी पूर्णरूप से कांग्रेस की राह पर दिल्ली पर ही आश्रित हो गई है।
जो संगठन की दृष्टि से घातक है और न ही भाजपा की यह पद्दति रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दिल्ली राष्ट्रीय हाइकमान द्वारा नियुक्त करना इन कार्यकर्ताओं को रास नही आरहा ।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्त चुनावीं प्रक्रिया से करना हितकारी रहेगा। इससे जंहा एक ओर संगठन में पारदर्शिता बनी रहेगी वहीं कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ेगा।
केवल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति ही नही अपितु समस्त खण्डों, जिलाओं एवं राज्यस्तरीय कार्यकरणीं का गठन भी वोट द्वारा होना चाहिए।
आजकल चर्चाओं के अनुसार भाजपा अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदारी रणधीर शर्मा,त्रिलोक जंबाल,रामसिंह,पूर्व सांसद महेश्वर सिंह,राजीव भारद्वाज,कृपाल परमार व महिला में इंदुगोस्वामी के भी नाम चर्चा मे है। भाजपा के विधायक हर रोज प्रदेश मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के दरबार मे हाजरी बनाए हुए है।
यदि सूत्रों की माने तो पूर्व में भाजपा अध्यक्ष अनुभवियों में सुरेश भारद्वाज मंत्री व सतपाल सिंह सती के नाम पर भी मोहर लगने से भी कोई हैरानी नही होगी।
भाजपा के लिए पार्टी के नए अध्यक्ष को नियुक्त करने का अधिकार प्रदेश को दिया जाना चाहिए। जबकि दिल्ली से जो नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुना जाता है उस पर सभी हामी भरते है।लेकिन वो संगठन की दृष्टि से कार्यकर्ताओं कामनोबल तोड़ देता है।इनदिनों पूरे प्रदेश में चर्चा चाय पे होने लगी है कि प्रदेश का नया अध्यक्ष कौन बनेगा। आम जनता एवं कार्यकर्ता का मत है कि प्रदेश अध्यक्ष जल्द चुना जाए और प्रदेश को ही नए अध्यक्ष को नियुक्त करने का अधिकार दिया जाए।