नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संकट के बीच लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार प्रवासीय मजदूरों पर पड़ी है। एक तो ‘काम और पैसा’ नहीं होने के कारण मजदूर अपने घर को पलायन कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कई जगहों पर सड़क हादसों में इनकी मौतें भी हो रही हैं। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि महज 10 दिनों में 99 मजदूरों की अलग-अलग हादसों में मौत हो गई है। इन हादसों के साथ बड़ा सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर इन मजदूरों के मौत का जिम्मेदार कौन है?
दरअसल, जब से देश में लॉकडाउन लागू हुआ है तब से काफी संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। सैकड़ों, हजारों किलोमीरटर की दूरी तय करके ये मजदूर अपने राज्य वापस जा रहे हैं। लेकिन, रास्ते में सोते हुए, चलते हुए ये मजदूर बस , ट्रक और ट्रेन की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के औरैया में भी शनिवार अहले सुबह कुछ ऐसा ही हुआ। बिहार , बंगाल , झारखंड के मजदूरों को ले जा रही डीसीएम बस में एक ट्रक ने टक्कर मार दी। इस दर्दनाक हादसे में 24 प्रवासी मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि, 20 से ज्यादा घायल मजदूरों का इलाज चल रहा है। लेकिन, ये कोई पहली घटना नहीं है पिछले 10 दिनों में विभिन्न हादसों में 99 प्रवासी मजदूरों की अपने घर लौटते समय दुर्घटना में मौत हो चुकी है।
10 दिन में 99 प्रवासियों ने हादसो में गंवाई जान
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