गोपाल शर्मा/ राजगढ
आसरा संस्था के प्रभारी गोपाल हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि आसरा संस्था के कलाकार इन दिनों हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा फरीदाबाद में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेले में निदेशालय भाषा एवं संस्कृति तथा पर्यटन विभाग, हिमाचल प्रदेश के सौजन्य से सिरमौर की संस्कृति का प्रदर्शन कर रहे हैं।
1 से 16 फरवरी तक आयोजित होने वाले इस हस्तशिल्प मेले का शुभारंभ मुख्य अतिथि भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा 1 फरवरी को किया गया शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने की। इसके अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एवं उज्बेकिस्तान के राजदूत फरहाद आरजेब आदि में मेज़बान इस मौका पर उपस्थित रहे।
मेले के शुभारंभ अवसर पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति महोदय व अन्य गणमान्यों के समक्ष लोक नृत्यों की दो प्रस्तुतियां हुई। जिसमें एक प्रस्तुति सूरजकुंड मेले की पार्टनर कंट्री उज्बेकिस्तान के कलाकारों की रही और दूसरी प्रस्तुति थीम स्टेट हिमाचल प्रदेश के आसरा संस्था के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सिरमौरी नाटी की रही।
हिमाचल प्रदेश की ओर से आसरा संस्था के कलाकारों ने सिरमौर के हाटी समुदाय की संस्कृति की झलक उपस्थित अतिथियों एवं दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत की। सिरमौरी नाटी की प्रस्तुति में आसरा के कलाकारों ने जेठी मांए म्हारे रेणुका गाणे गाणा काणछा तालो गीत के साथ अपनी प्रस्तुति आरंभ की। आसरा संस्था के कलाकारों ने लोक नृत्य प्रदर्शन में रिहाल्टी गी, परात नृत्य तथा रासा नृत्य की अविराम प्रस्तुति दी। आसरा संस्था के लोक कलाकारों की यह प्रस्तुति बेहतरीन रही। मुख्य अतिथि व अन्य उपस्थित विशिष्ट मेहमानों एवं अन्य दर्शकों ने आसरा के लोक कलाकारों के मंचीय प्रदर्शन के दौरान कई मर्तबा करतल ध्वनि से सिरमौरी नाटी की प्रस्तुति को दाद दी एवं इसे खूब पसंद किया।
जोगेंद्र हाब्बी के नेतृत्व में आसरा संस्था के कलाकारों द्वारा आगामी दिनों में इस मेले के मुख्य मंच पर हाटी संस्कृति प्रधान पारंपरिक ठोडा नृत्य, देव पूजा एवं पांजड़ों से संबंधित दीपक नृत्य, रिहाल्टी गी, मुंजरा नृत्य, परात नृत्य, एवं रासा नृत्य तथा झूरी, लोक गाथाओं में हार, बार, प्वाड़ा, साका की प्रस्तुतियों के अलावा देव परंपरा से जुड़े पारंपरिक सिंहटू नृत्य की प्रस्तुतियां भी दी जाएगी। इसके अलावा 4 फरवरी को मेले की चौथी सांस्कृतिक संध्या पर निदेशालय भाषा एवं संस्कृति, हिमाचल प्रदेश द्वारा तैयार एक विशेष प्रस्तुति हिम लोकरंग में हिमाचल प्रदेश के कई जिला के लोक नृत्य का गुलदस्ता प्रस्तुत किया जाएगा।
सूरजकुंड मेले में इस वर्ष उज्बेकिस्तान पार्टनर कंट्री के रूप में हिस्सा ले रहा है जबकि हिमाचल प्रदेश का चयन थीम स्टेट के लिए किया गया है। यह अवसर हिमाचल प्रदेश को लगभग 24 वर्षों के पश्चात मिला है। मेले की थीम स्टेट हिमाचल होने के कारण इस मेले में हिमाचली टोपी, शोल आदि हस्तशिल्प, हस्तकला एवं काष्ठकलाकृतियों और सांस्कृतिक विरासत की पूर्ण झलक तथा प्रदेश के पारंपरिक लोक नृत्यों लोक वाद्यों की जीवंत झलक मेले में आने वाले लाखों पर्यटकों को देखने को मिलेगी।
अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला सूरजकुंड विश्व का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला है। मेला घूमने आने वाले लाखों लोगों को इस अंतरराष्ट्रीय मेले में जहां विश्व स्तर का हस्तशिल्प उपलब्ध होता है वहीं अनेकों देशों की संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है। भारत के अलावा 30-40 देशों के कलाकार एवं शिल्पकार इस क्राफ्ट मेले में भाग लेंगे। सूरजकुंड मेला में सिरमौर के अलावा जिला कुल्लू, मंडी, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, शिमला आदि सभी जिलों के लोक कलाकार दर्शकों को हिमाचली संस्कृति से रूबरू करवाएंगे।
आसरा संस्था के 20 सदस्यीय दल की इस प्रस्तुति में लोक गायक रामलाल, गोपाल एवं संस्कृति लोक नृत्यों में जोगेंद्र हाब्बी, चमन, मनमोहन, अमीचंद, रायसिंह, सरोज, अनु, लक्ष्मी,प्रिया, एवं शिवानी, ढोल वादक रमेश एवं संदीप, करनाल रणसिंगा वादक मुकेश व अनिल के अलावा अमन, इंद्र, ओमप्रकाश आदि कलाकारों ने बेहतरीन प्रदर्शन में भूमिका निभाई ।।
अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेले में निदेशालय भाषा एवं संस्कृति तथा पर्यटन विभाग, हिमाचल प्रदेश के सौजन्य से सिरमौर की संस्कृति -गोपाल हावी
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