आवाज़ जनादेश
विश्व स्तर पर हिंदू धर्म और हिंदू आध्यात्मवाद के पुनरुत्थान का श्रेय स्वामी विवेकानन्द को जाता है। उन्होंने समाज, गरीबों और वंचितों के हित के लिए अथक प्रयास किए। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कांगड़ा जिला के पालमपुर में योग और प्राकृतिक चिकित्सा के कायाकल्प हिमालयन अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित स्वामी विवेकानन्द जन्मोत्सव समारोह में उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह दिन पूरे देश में हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द न केवल एक आध्यात्मिक विचारक थे, बल्कि वे एक प्रखर विचारक, महान वक्ता और देशभक्त भी थे। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के स्वतंत्र चिंतन को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि विश्व बन्धुत्व और आत्म-जागृति का उनका संदेश आज के वैश्विक राजनीतिक उथल-पुथल के परिपेक्ष्य में और भी अधिक प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने पूर्व और पश्चिम की संस्कृति को जोड़ने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने हिंदू धर्मग्रंथों, दर्शन और जीवन पद्धति को पश्चिमी लोगों तक पहुंचाया। स्वामी जी ने पश्चिमी लोगों को यह अनुभव करवाया कि गरीबी और पिछड़ेपन के बावजूद, भारत का विश्व संस्कृति में महान योगदान था।
जय राम ठाकुर ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने अपनी भारत की यात्रा के दौरान अपने संपर्क में आए लोगों के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को आत्मसात किया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने जीवन की उन कठिनाइयांे को देखा, जिनका सामना आम लोगों को बीमारियों और कष्टों में करना पड़ता है तथा उन्होेंने इन कष्टों से राहत दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित करने का प्रण लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानन्द ने विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया और अपनी प्रारंभिक पंक्ति ‘मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों’ के साथ सभी को चैंका दिया। उनके इस वाक्यांश का श्रोताओं ने खड़े होकर अभिवादन किया और वेदांत के सिद्धांतों और उनके आध्यात्मिक महत्त्व का वर्णन किया और हिंदू धर्म को विश्व धर्मों के मानचित्र पर रखा।
जय राम ठाकुर ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं और जीवन के बारे में युवा पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए इस तरह के समारोह का आयोजन सराहनीय है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी की शिक्षाएँ कई लोगों के लिए प्रेरणा है और विशेषकर युवाओं के लिए उनके शब्द आत्म-सुधार के लक्ष्य बन गए हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी जी जातिगत भेदभाव के खिलाफ थे और सार्वभौमिक भाईचारे तथा समानता में विश्वास रखते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व के कारण भारत दुनिया के विश्वशक्ति के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है। अब अनुच्छेद-370 और 35ए इतिहास बन गया है और भारत में अब एक संविधान और एक निशान है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व के फलस्वरूप संभव हुआ। उन्होंने श्री राम जन्मभूमि के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सी.ए.ए. केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है और राज्य के लोग इस फैसले के पक्ष में हैं क्योंकि इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले भेदभाव से पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने में सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। इस अवसर पर 104 छात्रों को सम्मानित किया गया। उन्होंने सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार भी दिए जो एबीवीपी द्वारा हाल ही में आयोजित किए गए थे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर विवेकानन्द ट्रस्ट को 11 लाख रुपये अपनी ऐच्छिक निधि से देने की घोषणा की और कायाकल्प हिमालयन अनुसंधान संस्थान को 8.50 लाख रुपये देने की घोषणा की।
इससे पहले, पालमपुर पहुुंचने पर मुख्यमंत्री ने विवेकानन्द मेडिकल संस्थान के परिसर में स्वामी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि समर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
पूर्व मुख्यमंत्री और विवेकानन्द ट्रस्ट के अध्यक्ष शान्ता कुमार ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि ट्रस्ट स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं को विद्यार्थियों तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदारी एवं समर्पण से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जीवन और शिक्षाओं पर आधारित भाषण प्रतियोगिताएं लाहौल-स्पीति जिला को छोड़कर प्रदेशभर में आयोजित किया जाता है, जिसमें लगभग 30,000 विद्यार्थियों ने भाग लिया। 3.5 करोड़ रुपये की लागत से हाॅल का उद्घाटन करने के लिए भी मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने विद्यार्थियों से स्वामी जी की शिक्षाओं का अनुसरण करने और एक अच्छा नागरिक बनने का आह्वान किया। उन्होंने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सन्देश भी पढ़ा।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के अनुसार जीवन का मुख्य लक्ष्य आत्मा की स्वतंत्रता को प्राप्त करना है और यह एक व्यक्ति के धर्म की संपूर्णता को समाहित करता है। उन्होंने कहा कि शिकागो में स्वामी जी ने विश्व को यह दिखाया कि भारत केवल सपेरों का देश न होकर महान विचारकों एवं महापुरूषों का निवास स्थान भी हैं। उन्होंने कहा कि संस्कारयुक्त शिक्षा से ही आदर्श समाज का निर्माण सम्भव है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए प्रदेश सरकार शीघ्र ही स्कूली पाठ्यक्रम में योग और शतरंज को शामिल करने जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने विश्व को भारत की एकता के मूल सिद्धान्त से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने विश्व समुदाय को यह बताया कि इतनी भिन्नताओं के बावजूद राष्ट्र कैसे मानवता और भाईचारे के सूत्र से बंधा हुआ है। उन्होंने कहा कि अपने गुरू श्री रामकृष्ण परमहंस के परामर्श पर उन्होंने उनकी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए पूरे भारत की यात्रा की।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के क्षेत्रीय आयोजन सचिव विक्रान्त खंडेलवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का धार्मिक चिन्तन श्री रामकृष्ण की आध्यात्मिक शिक्षाओं और उनके वैदिक दर्शन के व्यक्तिगत आंतरिककरण का एक मिश्रण था तथा उन्होंने निःस्वार्थ कार्य, पूजा और मानसिक अनुशासन के द्वारा आत्मा की दिव्यता को प्राप्त करने की शिक्षा दी।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द राष्ट्रवादी थे, जिनके मन में हमेशा अपने देशवासियों का समग्र कल्याण का भाव होता था। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं को फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
भाषण प्रतियोगिता की विजेता पारुल शर्मा और नंदनी ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन और शिक्षाओं के बारे में भी बताया।
सांसद राम स्वरूप शर्मा, विधायक राकेश पठानिया, अर्जुन सिंह, विशाल नैहरिया, मुल्क राज प्रेमी, रविन्दर कुमार, जिया लाल कपूर, अरुण मेहरा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बी.बी.एल. बूटेल, पूर्व विधायक दुला राम, प्रवीण शर्मा और मोहिंदर नाथ सोफत, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेता डाॅ. सुनील ठाकुर, राहुल राणा, आशुतोष और डाॅ. प्रदीप कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।