(मितव्ययता और सरकार) सरकार मेरी है और सरकारी पैसा देश का है। यह पैसा हम सबने सरकार को टैक्स देकर इकट्ठा किया है। इसका *देश हित में सदुपयोग* होना चाहिए ऐसी भावना नेताओं, अधिकारियों, कर्मचारियों और नागरिकों में भी कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे लगता हैं कि हममें यह घर कर गया कि सरकारी धन है तो यह है ही बर्बाद और दुरुपयोग करने के लिए । बहुत सा *सरकारी पैसा वी आई पी लोगों की झूठी शान बनाए रखने के लिये खर्च* हो जाता है। आज के वी आई पी *बड़ी गाडियां और चार्टड प्लेन का इस्तेमाल जरूरत के लिए कम और शान दिखाने के लिए ज्यादा* करतें हैं। यहाँ तक कि *सुरक्षा का कितना कवर किसके पास* है *वह भी शानो शौकत का द्योतक* बन गया है। आज देश मे हजारों लोगो को सरकारी खर्चे पर सुरक्षा दी गई है हालांकि *ज्यादातर ऐसे लोगो को सुरक्षा* दी गई है *जिन्हें मार कर उग्रवादी अपनी गोली कदापि बर्बाद नही करना चाहेगें।* जहां तक हत्या की बात है श्रीमती इंदिरा गांधी को तो भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुरक्षा गार्डों ने ही निशाना बना हत्या कर दी थी। बात यहीं पर समाप्त नहीं होती कुछ लोगों को सरकार ने *सुरक्षा के नाम पर बडे सरकारी आवास भी उपलब्ध* करवा रखें है। कुछ वी आई पी *रेग्युलर फ्लाइट मे जाना अपनी शान के खिलाफ़* मानते है। यूपीए 2 सरकार मे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिह मंत्रीमंडल मे यह प्रस्ताव पारित करवाना चाहते थे कि मंत्री विदेशों के दौरे पर जाते हुये एगजिक्युटिव क्लास मे सफर करने के स्थान पर सामान्य श्रेणी मे सफर करे, परन्तु हिमाचल से सम्बंध रखनें वाले हम सबके परिचित तत्कालीन केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री के जबर्दस्त विरोध के बाद प्रस्ताव वापिस लेना पड़ा था। आदरणीय प्रधानमंत्री जी के आदेश पर *लालबत्ती की परम्परा समाप्त* कर दी गई है *जिसकी खूब सराहना* की गई। परन्तु कुछ कथित वी आई पी को वह भी रास नही आ रहा है, एक परिचित पुलिस अधिकारी का कहना है सोलन से गुजरने वाला हर वी आई पी *लालबत्ती बंद होने के बाद पुलिस पाइलट की मांग* करने लगा है।
नेताओ और अधिकारियों में देश भक्ति का अभाव
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