शिमला – स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरती, तो खैर नहीं। ऐसे में संबंधित स्वास्थ्य अधिकारी या डाक्टर की इन्क्रीमेंट रोकी जा सकती है। प्रदेश सरकार इस ओर सख्ती बरतने वाली है, जिसमें कर्मचारियों और अधिकारियों पर शिकंजा कसा जाने वाला है। अभी तक के रिकार्ड पर गौर करें, तो स्वास्थ्य योजनाओ में लापरवाही बरतने वाले 20 डक्टर और फंस गए थे, जिन्हें एक बार चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। जानकारी के मुताबिक इन डाक्टरों के खिलाफ प्रदेश सरकार को मरीजों ने सीधे ही शिकायत की थी। इन चिकित्सकों को अब साफ कहा गया है कि यदि दोबारा शिकायत आती है, तो कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य क्षेत्र में कई ऐसी योजनाएं हैं, जिस पर मरीजों ने समय पर सहायता नहीं मिलने पर अपनी आवाज उठाई है। सरकार के निर्देशों के तहत सबसे ज्यादा नजर प्रदेश के उन डाक्टर्ज पर रखी जा रही है, जो मरीज के इलाज में खासतौर पर उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं, जो काफी महंगे होते हैं और उसका खर्चा स्वास्थ्य योजनाआें से आसानी से निकल सकता है, लेकिन फिर भी उन्हें बाहर से उपकरण खरीदने की सलाह दी जाती है। अस्पतालों में प्रतिदिन करीब दो हजार से ज्यादा ऐसे मरीज आते हैं, जो स्वास्थ्य योजना में इलाज का लाभ लेना चाहते हैं। इसमें मेडिकल कालेजों के ऑर्थो विभाग और कार्डियोलॉजी विभाग में ही 40 से 50 फीसदी मरीज प्रदेश भर से ऐसे भर्ती होते हैं, जिनकी सर्जरी करनी पड़ती है। ऑर्थो और सर्जरी के उपकरण बहुत महंगे होते हैं, लिहाजा सरकार ने स्वास्थ्य योजना को गंभीरता से इस्तेमाल करने के निर्देश जारी किए हैं।
शिकायत पर तैयार होगी चिकित्सकों की लिस्ट
आईजीएमसी के सीनियर डाक्टर के खिलाफ पेश आई शिकायत पर उन्हें चार्जशीट करने के बाद सरकार ने इस मामले को और गंभीरता से लिया है, जिसमें मरीजों द्वारा जिन चिकित्सकों की शिकायत सीधे सरकार से की जा रही है, उन चिकित्सकों की लिस्ट तैयार कर जल्द ही एक्शन लिया जाएगा। आईजीएमसी के सीनियर डाक्टर के खिलाफ आई शिकायत के मुताबिक डाक्टर ने प्रभावित की सर्जरी के लिए 42 हजार रुपए जमा करने के लिए कहा था, जिस पर गाज गिरी थी। गौर हो कि हिमकेअर में इलाज के तहत यह खर्चा मरीज का नहीं लगता है।