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सरकार के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े हैं।…
नई दिल्ली, लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो गया है। सरकार के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े हैं। यह मोदी सरकार के लिए ऐतिहासिक कामयाबी का दिन है। वहीं, इस दिन को सामाजिक सुधार की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है। बता दें कि BJD ने इस बिल का समर्थन किया, वहीं JDU, AIADMK और TRS ने वॉकआउट किया। PDP और BSP भी वोटिंग में शामिल नहीं हुईं। विपक्ष के सभी बड़े संशोधन प्रस्ताव गिरे।
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है। यह एक बदलते भारत की शुरुआत है। बता दें कि बिल के पास होते ही मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर देखने को मिल रही है।
एक महिला यूजर ने लिखा, ‘मोदी है तो मुमकिन है’।
एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘मुस्लिम महिलाओं को सही मायने में आजादी अब मिली है’।
तीन तलाक बिल
इस बिल के अनुसार तत्काल तीन तलाक अपराध संज्ञेय यानी इसे पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब महिला खुद शिकायत करेगी।
इसके साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार रहेगा। पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है।
इस अध्यादेश के मुताबिक तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया। हालांकि, किसी संभावित दुरुपयोग को देखते हुए विधेयक में अगस्त 2018 में संशोधन कर दिए गए थे।
इस बिल में मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रॉनिक (एसएमएस, ईमेल, वॉट्सऐप) को अमान्य करार दिया गया और ऐसा करने वाले पति को तीन साल की सजा का प्रावधान जोड़ा गया।
बिल में यह भी है प्रावधान
मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा।
पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।
पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है, महिला को कितनी रकम दी जाए यह जज तय करेंगे।
पीड़ित महिला के नाबालिग बच्चे किसके पास रहेंगे इसका फैसला भी मजिस्ट्रेट ही करेगा।