सेब के पौधे बूलीऐफिड रोग की चपेट में ,फसल पर खतरा

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आनी/चमन शर्मा
खबर-मंडी डैस्क कार्यालय
आनी क्षेत्र में इन दिनों सेब के पौधों में बूलीऐफिड रोग फैलने के कारण सेब की फसल पर खतरा मंडरा गया है जबकि लगभग 10 से 15 दिनों के भीतर क्षेत्र में सेब का सीजन शुरू होने वाला है। सेब सीजन शुरू होने से ठीक पहले सेब बूलीऐफिड रोग की चपेट में आ गया है जिससे बागवान चिंतित हैं।बूलीऐफिड बिमारी के कारण सेब का बीमा कमजोर हो जाता है जिसे कारण सेब का आकार रूक जाता है और अगली साल को फसल कम होती है।क्षेत्र के बागवान विनोद शर्मा, एन.डी.ठाकुर,झाबे राम,जबाहर ठाकुर,ज्योति राम,जिया लाल,हुक्म चंद,आदि बागवान ने हांलटीकलचर विभाग से इस बिमारी की रोकधाम की मांग की है ताकि बागवानों की सेब की फसल खराब न हो पाऐ।उधर,जब इस विषय पर हांलटीकलचर विभाग के एस.एम.एस.के.एल.कटोच से बात की गई तो उनका कहना है कि मौसम के अनुसार डरमैट 400 मीलीलीटर प्रति डृम या साइथिआन 200 मिलिलीटर प्रति डृम सप्रे करनी चाहिए।उन्होंने बताया कि सर्दियों के मौसम में बूलीऐफिड बिमारी जडों में रहती है तथा माचृ-अप्रैल के महीने में जैसे ही सेब के पौधों में सैब चढना शुरू होता है तो ये सैब के साथ पौधों में ऊपर आना शुरू हो जाता है और सितंबर माह में जैसे ही सेब के पौधों से सैब जडों की और नीचे आना शुरू होता है तो ये भी सैब के साथ नीचे जड़ों में आ जाता है इसलिए सदियों के मौसम में फोरऐट टैन जी 100 से 150 ग्राम,थीमेट टैन जी,100 से 150 ग्राम दवाई का घोल बनाना चाहिए और तने के चारों ओर खुदाई करके दवाई का घोल उसमें डालना चाहिए जिससे इस बिमारी की रोकथाम होती है

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