कुल्लू के आरटीओ-एमवीआई को नोटिस

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बंजार हादसे के बाद परिवहन विभाग की अफसरों पर कार्रवाई, दो हफ्ते में मांगा जवाब



शिमला — बंजार हादसे के 13 दिन बाद अब जाकर सरकार जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रही है। शनिवार को सरकार के आदेशों पर परिवहन विभाग के आरटीओ व एमवीआई को नोटिस जारी कर दिया गया है।दोनों अधिकारियों से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है, जिसके बाद इन अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। सरकार पहले ही कह चुकी है कि इस दुर्घटना में इन दोनों अधिकारियों की भी जिम्मेदारी बनती है। इन पर कार्रवाई की बात मुख्यमंत्री ने भी कही थी। परिवहन विभाग के प्रधान सचिव जेसी शर्मा ने बताया कि दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया गया है। एमवीआई से पूछा गया है कि जब बस फिट नहीं थी तो इसे कैसे फिटनेस सर्टिफिकेट देकर रूट पर चलने की परमिशन दी गई। इसी तरह आरटीओ से पूछा गया है कि बस में ओवर लोडिंग हो रही थी तो उन्होंने इसकी चैकिंग क्यों नहीं की। क्यों समय पर इस तरह के मामलों पर कार्रवाई नहीं की जाती। एडीएम कुल्लू अक्षय सूद की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। इससे पहले सरकार बस का रूट परमिट कैंसिल कर चुकी है, वहीं आपरेटर पर भी कार्रवाई चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक दुर्घटना वाले दिन बस दो बार खराब हुई। इसे धक्के देकर स्टार्ट किया गया। एक जगह पर मैकेनिक को भी दिखाया गया, लेकिन फिर भी बस को ले जाया गया और उस पर ओवरलोडिंग भी नहीं रोकी गई। यह बस भियोट मोड़ के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस बस की हालत इतनी खस्ता थी कि इसका इंजन अत्यधिक सवारियों का बोझ नहीं सह सका। इस दुर्घटना में 45 लोगों की मौत हुई। सरकार का तर्क है कि जब बस में तकनीकी खराबी थी तो एमवीआई ने इसे कैसे फिटनेस सर्टिफिकेट दिया था। बता दें कि जिस रूट पर बस भेजी गई थी, वह बस भी दूसरी थी, जबकि यहां पर अन्य बस चलती थी।
लोक निर्माण विभाग की भी जिम्मेदारी
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस रूट पर दो अन्य बसें चलती हैं, लेकिन उस समय दोनों ही बसें रिपेयर के लिए वर्कशॉप गई हुई थीं। कई दिनों से इस रूट पर एक यही बस चल रही थी, जिसके चलते इसमें ओवरलोडिंग ज्यादा थी। सरकार का तर्क है कि आरटीओ ने ओवरलोडिंग को चैक क्यों नहीं किया। यदि ओवरलोडिंग न होती तो शायद यह हादसा भी न होता। जांच रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग को भी दोषी पाया गया है, क्योंकि वहां पर पैराफिट के बीच इतना गैप क्यों था, इसके लिए लोक निर्माण विभाग भी दोषी है। बताया जा रहा है कि बस धीरे-धीरे पीछे की ओर सरकी थी, जो पैराफिट पर रुक सकती थी।

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