शिमला टीम — जाली डिग्रियां लेकर अध्यापक बने 17 शातिर हिमाचल सरकार को हर माह सात लाख पेंशन की चपत लगा रहे हैं। इनमें अधिकतर जालसाज उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के हैं। खास बात है कि फर्जीबाड़े से पूरे 58 साल तक नौकरी करने के बाद रिटायर हुए फर्जी अध्यापक अब पेंशन के हकदार बन बैठे हैं। करीब 18 साल पहले सामने आई एक अध्यापिका के फर्जीबाड़े की पुलिस में शिकायत भी दर्ज हुई थी। बावजूद इसके ठोस कार्रवाई न होने से अब सरकारी खजाने को रिटायरमेंट के बाद भी चपत लग रही है। विभागीय जांच में पुष्टि हुई है कि कुल 17 फर्जी अध्यापक पेंशन सेवा का लाभ ले रहे हैं। इस आधार पर राज्य सरकार ने पुलिस महानिदेशालय से पत्राचार कर इन अध्यापकों की जांच रिपोर्ट तलब की है। आगामी कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग के सचिव अरुण शर्मा ने जालसाज अध्यापकों की पेंशन सेवा बंद करने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा रिकवरी का भी नोटिस भेजने को कहा है। सूचना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में फर्जी डिग्रियां लेकर अध्यापक बेखौफ होकर छात्रों को पढ़ाते रहे। इस कारण संबंधित स्कूलों के परीक्षा परिणामों से ज्यादा उम्मीद करना बेमानी होगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वर्ष 2001 से लेकर अब तक यह मामला डिग्रियों की जांच में ही उलझा रहा। बाहरी राज्यों के विश्वविद्यालयों की मान्यता और इनसे जारी डिग्रियों की जांच के लिए राज्य सरकार को डेढ़ दशक से ज्यादा का समय लग गया। अब जाकर पुष्टि हुई है कि प्रदेश भर में 17 अध्यापक फर्जी डिग्रियां लेकर सरकारी नौकरी ले बैठे थे। इन सभी के सेवानिवृत्त होने के बाद राज्य सरकार पेंशन सेवा का भी लाभ दे रही है। इस पुष्टि के आधार पर शिक्षा विभाग ने सेवानिवृत्त फर्जी अध्यापकों के विरुद्ध पुलिस निदेशालय को कड़ी कार्रवाई के लिए लिखा है। इसके अलावा अपने स्तर पर पेंशन बंद कर रिकवरी प्रक्रिया को नोटिस भेजा जा रहा है। इसी बीच विभाग का दावा है कि इसी तरह फर्जीबाड़े से अध्यापक बन बैठे आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है। राज्य में भी इस तरह के मामले सामने आने की प्रबल संभावना है। जाहिर है कि कांगड़ा जिला के देहरा का एक निजी शिक्षण संस्थान फर्जी डिग्रियों के लिए सुर्खियों में रहा है। इसके अलावा पिछले दो दशक में हिमाचल के भी ऐसे नटवर लाल रहे हैं, जिन्होंने बाहरी राज्यों से फर्जी डिग्रियां लेकर अपना अध्यापन कैरियर शुरू किया है। राज्य सरकार संदेह के घेरे में आए ऐसे फर्जी डिग्रीधारक जाली अध्यापकों के खिलाफ जांच कर रही है।
फर्जी डिग्रियां लेकर अध्यापक बने 17 शातिर सरकार से पेंशन लाभ भी ले रहे हैं। राज्य सरकार ने इनके खिलाफ नए सिरे से कार्रवाई का फैसला लिया है। इसके अलावा वित्तीय लाभों पर रोक लगा दी है
–अरुण शर्मा, सचिव शिक्षा