इको टास्क फोर्स के जवान करेंगे एसआईटी के सदस्यों की मदद।
शिमलाःहाईकोर्ट ने वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने को भारतीय सेना की इको टास्क फोर्स को सौंम्पी जिम्मेवारी।
पुरानी एसआईटी की भी की पुनः तैनाती की है | कोर्ट ने 3 दिनों के भीतर चैथला, पुंगरिश, पांडली व बधाल की वनभूमि के कब्जे हटाने के दिए आदेश।
उच्च न्यायालय ने वन भूमि से अवैध कब्जे छुड़ाने के आदेशों की अनुपालना के लिए भारतीय सेना की इको टास्क फोर्स के जवानों को तैनात करने के आदेश दिए। वे इस काम के लिए गठित पुरानी एस आई टी के सदस्यों को इस काम में मदद करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जितने भी अवैध कब्जे वन भूमि व सरकारी भूमि पर किए गए हैं उन्हें तुरंत प्रभाव से हटा दिया जाये । मामले की सुनवाई के दौरान एमिक्स क्यूरी ने कोर्ट को एक पत्र को सौंपा जिसमें बताया गया है कि चैथला गांव की वन भूमि के मामले में राजस्व व वन अधिकारी बड़े बड़े अवैध कब्जाधारियों से मिले हुए हैं और उनकी मदद में जुटे हुए हैं। केवल छोटे कब्जाधारियों पर ही कार्यवाई हो रही है ताकि आंकड़ों से कोर्ट को गुमराह किया जा सके। पत्र के अनुसार चैथला निवासी प्रताप चौहान, राजपाल चौहान व राजेश के पास जुब्बल व चौपाल में भी भूमि है और वहां भी इन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे किये हैं। चैथला में इन्होंने 50 बीघा भूमि कब्जाई है जबकि कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने के लिए इनके मात्र 50 से 100 पेड़ काटे गए हैं। इतना ही नहीं इन्होंने कब्जे वाली भूमि पर पैकिंग व ग्रेडिंग सेंटर खोल रखे हैं और यह भी सरकार से सब्सिडी लेकर। इन्होंने अवैध रूप से कब्जाई भूमि से हुए आमदनी से लगभग 5 बिल्डिंगें शिमला में बना रखी है । जगदीश ताजटा के खिलाफ फौजदारी मामले तो दर्ज किए गए हैं परन्तु इनके खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं हो रही है। इसने चैथला व क्लेमु कोटखाई में अवैध कब्जे किये है। इसके पास अपनी भूमि 4 बीघा है जबकि इसने क्लेमु में ही 40 बीघा सरकारी भूमि कब्जाई है। इसने कोटखाई के जलथ गांव में लीज पर भूमि ले रखी है और वहाँ भी बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे किये हैं। चैथला में इसने 20 बीघा भूमि कब्जाई है। मस्त राम ताजटा, दिनेश, नरेश व बतया देवी सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं और 5 बीघा भूमि की पॉलिसी का फायदा ले रहे हैं। इन्होंने चैथला में 60 बीघा भूमि कब्जाई है। इन्होंने कब्जाई भूमि की सिंचाई के लिए लिफ्ट स्किम से कनेक्शन ले रखा है और बिजली भी ली है। ये लोग अब वन भूमि से अपनी कब्जाई हुई भूमि तक सड़क बनाने की योजना में जुटे हैं। इसी तरह तारा, संजय, लीला चौहान व लीला देवी भी बड़े कब्जाधारियों में है परन्तु इनसे एक इंच भूमि भी नहीं छुड़ाई जा सकी है। वीरेंद्र सिंह भी बड़ा कब्जाधारी है और इसने पांदली चक में भी अतिक्रमण किया हुआ है। इसने चैथला में 20 बीघा भूमि कब्जाई है और इसके खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं हुई है। प्रदीप व प्रमोद के साथ साथ पुंगरिश निवासी राज राम ने भी बड़े पैमाने पर कब्जे किये हैं परन्तु इनके खिलाफ भी वन विभाग कोई कार्यवाई नहीं कर सका है। पत्र में मांग की गई है कि इन अवैधकब्जाधरियों को कब्जाई हुए भूमि के पेड़ों से फल तोड़ने से रोका जाए और मामले की सुनवाई दिन प्रतिदिन के हिसाब से की जाए। कब्जा हटाते समय उच्च अधिकारियों को मौके पर रहने के आदेश देने की मांग भी की गई है। कोर्ट ने इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए खेद जताया कि किस तरह सरकार की कार्यप्रणाली कानून व्यवस्था बनाने में लगी है। इसके अलावा कोर्ट मित्र ने 8 ऐसे कब्जाधारियोंके नाम न्यायालय को बताए थे जिनके नाम अवैध कब्जाधारियों में शामिल नही थे। इनमे तहसील जुब्बल में गांव बधाल के पूर्व उप प्रधान बाग मल रिखटा, पूर्व उपप्रधान राजेश पिरटा, मौजूदा प्रधान महेंदर, पंचायत सदस्य गुलट राम जेहटा, जुब्बल हाटकोटी रेंज में तैनात वन विभाग के बिओ लोकेन्द्र सिंह, गीता राम पीरटा, चतर सिंह मेहता व उद्दम लाल चौहान शामिल है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि न्याय की दृष्टि से अब यह जरूरी हो जाता है कि 25 अप्रैल 2018 को जिस एसआईटी का गठित किया गया था वही कोटखाई तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव जलाथा, चेन्थला, पुंगरिश पाण्दली व क्लेमू व जुब्बल तहसील के गांव बदहाल गांव जाए व तुरन्त सरकारी भूमि से अवैध कब्जे हटाये। गौरतलब है कि जुब्बल तहसील के छाजपुर के 13 बड़े कब्जाधारियों कब्जे हटाने बाबत प्रदेश हाईकोर्ट ने एस आई टी का गठन किया था। कोर्ट द्वारा गठित एस आई टी में अतिरिक्त उपायुक्त शिमला देवासवेटा वैनिक , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज डरोह की प्रिंसिपल आई पी एस सौम्या संवाशिवम व चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट आलोक नागर को रखा गया था । न्यायालय ने 24 जुलाई को एक्शन रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दायर करने के आदेश पारित किए गए है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिलाधीश शिमला को आदेश दिए हैं कि वह एसआईटी को मदद करने के लिए कुशल व तकनीकी तौर पर काबिल लोगों को तैनात करें जो कि ठीक तरीके से सरकारी भूमि की पुष्टि करें।
प्रधान मुख्य अरण्यपाल ने न्यायालय को बताया कि अवैध कब्जे हटाने के लिए केवल 125 कर्मियों को तैनात किया गया है । न्यायालय ने पाया कि अवैध कब्जों की संख्या को देखते हुए इनकी संख्या बहुत कम है ।जिस पर न्यायालय ने भारतीय सेना की इको टास्क फ़ोर्स के जवानों को भी तैनात करने के आदेश पारित कर दिए। मामले पर सुनवाई 24 जुलाई को होगी।