शिमला। शिमला नागरिक सभा ने हिमाचल पुलिस की कार्यप्रणाली पर गम्भीर प्रश्न उठाए हैं। नागरिक सभा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए तुरन्त आवश्यक कदम उठाएं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि पुलिस से जनता के टूटते भरोसे को बहाल करना मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार के लिए गम्भीर चुनौती है अतः इस दिशा में ठोस पहलकदमी की जाए। नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि गुड़िया व सूरज मामले में बेनकाब होकर अपनी किरकिरी करवाने वाला पुलिस प्रशासन अब भी कोई सबक सीखने को तैयार नहीं है। गुड़िया मामले में पुलिस अधिकारी जेल में हैं व उसके बावजूद पुलिस अधिकारी अपनी तानाशाही से बाज नहीं आ रहे हैं। गुड़िया मामले में अहम गवाह सन्तरी दिनेश शर्मा की जान को खतरा होने व उसके पत्नी के गर्भवती होने के बावजूद उन्हें गेस्ट हाउस से निकालकर प्रताड़ित किया जा रहा है ताकि वह सच्चाई से मुकर जाएं तथा दोषियों व पुलिस अधिकारियों को बचाया जा सके।
पुलिस द्वारा नए साल की पूर्व संध्या पर मीडिया कर्मियों से मार पिटाई से साफ है कि पुलिस बेलगाम है। इसे कानून व्यवस्था की कोई परवाह नहीं। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला तानाशाही व अफसरशाही के इलावा और कुछ नहीं। पुलिस की बर्बरता पिछले कुछ वर्षों में बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। विधानसभा के बाहर छात्रों पर बर्बर लाठीचार्ज, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में छात्राओं पर डंडे बरसाना व आम जनता से दुर्व्यवहार व मारपीट पुलिस कार्यप्रणाली का आम हिस्सा बन चुका है। पिछले कुछ समय में पुलिस की कार्यप्रणाली लगातार सवालों के घेरे में है व इस से साफ संकेत मिल रहे हैं कि पुलिस खुद को कानून व सरकार से ऊपर मान कर चल रही है। पुलिस व कानून व्यवस्था पर जनता का भरोसा कायम रखने के लिए मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार को तुरन्त पहलकदमी करनी चाहिए।