शिमला /राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि आध्यात्म की शक्ति चरित्र निर्माण के साथ-साथ व्यक्तित्व को ऊंचा कर देती है। चरित्र निर्माण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है। राज्यपाल शिमला जिले के सुन्नी में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय संस्थान द्वारा आयोजित ‘‘चरित्र निर्माण आध्यात्मिक सम्मेलन’’ में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आध्यात्मिकता का ज्ञान देकर चरित्र निर्माण का जो कार्य किया जा रहा है वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति कोई भी कार्य सुख प्राप्ति के लिए करता है। इसके लिए वह प्रयासरत रहता है, संघर्ष करता है। समाज में धर्म भी तेजी से बढ़ा है, लेकिन पाप की संस्कृति कम नहीं हुई है, जिस पर चिंतन होना चाहिए। इसका कारण है कि हर व्यक्ति दोहरे चरित्र का जीवन जी रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में सार्वजनिक और निजी जीवन में भेद नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘जो मन में है, वह वाणी में होना चाहिए और जो वाणी में है, वह कर्म में दिखना चाहिए।’’ मन, वचन और कर्म एक होने पर ही समाज में परिवर्तन आता है। आचार्य देवव्रत ने व्यक्ति के चरित्र निर्माण पर बल देते हुए कहा कि आचरण की शुद्धता को बनाए रखने के कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से देवभूमि के उच्च आचरण को जीवन में अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नशामुक्ति के खिलाफ अभियान चलाया जाना चाहिए। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागृति आनी चाहिए तथा जल संरक्षण, जैविक कृषि एवं गौपालन व समरसता जैसे सामाजिक अभियानों में हर व्यक्ति को योगदान देना चाहिए। इससे पूर्व, राज्यपाल ने ओम शांति भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माऊंट आबु की वरिष्ठ राजयोगनी ब्रह्मकुमारी उषा बहन ने राज्यपाल का स्वागत किया और चरित्र निर्माण को लेकर संस्थान की गतिविधियों की जानकारी दी।
संस्थान के उत्तर भारत के निदेशक अमीर चन्द ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा आध्यात्म के द्वारा आंतरिक शक्ति के विकास पर बल दिया।