हादसों वाले हॉट स्पॉट की निगरानी करेगी एसडीआरएफ
प्रदेश में डूबने से होने वाली मौतों को रोकेगी टीमें
आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला
हिमाचल में हर साल डूबने से 500 लोगों की मौत हो रही हैं। डूबने से हो रही लोगों की मौतों पर रोक लगाने के लिए एसडीआरएफ प्रदेश के डूबने वाले हॉट स्पॉट क्षेत्रों की निगरानी करेगी। हिमाचल प्रदेश में झीलों, नदियों, झरनों और नालों सहित कई जल निकाय हैं। पुलिस मुख्यालय शिमला में सोमवार को डीजीपी डा. अतुल वर्मा ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ एसपी एसडीआरएफ अर्जित सेन ठाकुर भी उपस्थित थे। डीजीपी ने कहा कि रावी, ब्यास, सतलुज, चिनाब, पार्वती और यमुना जैसी प्रमुख नदियां अपनी सहायक नदियों के साथ पहाड़ी इलाकों से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों की ओर तेजी से बहती हैं। राज्य सरकार ने डूबने को एक आपदा के रूप में मान्यता दी है, और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मुआवजा वितरित करते समय इन घटनाओं पर डाटा एकत्र करते हैं।
पुलिस अकसर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय लोगों की सहायता से बचाव और शव बरामदगी कार्यों का नेतृत्व करती है। 2006 से 2010 के बीच किए एक अध्ययन से पता चला कि राज्य में डूबने से 514 मौतें हुई, जिनमें 75 प्रतिशत आकस्मिक और 16 प्रतिशत आत्महत्या थीं। डूबने की अधिकांश घटनाएं गर्मियों में (34 प्रतिशत) और मानसून में (31 प्रतिशत) मौसम के दौरान हुई, जिसमें कांगड़ा और मंडी जिलों में सबसे अधिक घटनाएं हुई। डूबने के कारण कीमती जानों के नुकसान को रोकने के लिए 26 ऐसे हॉट स्पॉट की पहचान की गई और यह निर्णय लिया गया कि इन हॉट स्पॉट की निगरानी की जानी चाहिए । इसलिए, इन हॉटस्पॉट वाले पुलिस स्टेशनों से होमगार्ड की पहचान की गई है, जो लाइफ गार्ड के रूप में काम करेंगे।
यह होंगे होमगार्ड जवानों के मुख्य कार्य
निगरानी और निगरानी संलग्नता के माध्यम से रोकथाम आपातकालीन प्रतिक्रिया उपकरण और रखरखाव समन्वय और रिपोर्टिंग प्रत्येक लाइफ गार्ड को आवश्यक जीवन रक्षक उपकरणों से लैस किया जाएगा । जैसे लाइफ जैकेट बचाव रस्सियां और थ्रो बैग दूरबीन मेगाफोन इन लाइफ गार्ड की इन हॉटस्पॉट पर पूरी तरह से निवारक भूमिका होगी। उन्हें अपने कौशल को बढ़ाने के लिए और भी प्रशिक्षित किया जाएगा। बचाव कार्य के लिए स्थानीय पुलिस, डीडीएमए, एसडीआरएफ और अन्य ऐसी एजेंसियां जिम्मेदार होंगी। ये जीवन रक्षक डूबने की घटनाओं को रोकने, बहुमूल्य जीवन बचाने तथा राज्य में स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों में सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे।