आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला
ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गई है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री सुश्री हसीना गत पांच अगस्त को छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन के कारण इस्तीफा देने के लिए मजबूर होने के बाद भारत भाग गई थीं। भारतीय वीजा नियमों के अनुसार राजनयिक या आधिकारिक पासपोर्ट वाले बांग्लादेशी निवासी वीजा-मुक्त प्रवेश और 45 दिनों तक रहने के हकदार हैं।
सुश्री हसीना कल तक भारत में 18 दिन बिता चुकी थीं। सरकारी अधिकारियों के अनुसार सुश्री हसीना के पास केवल एक पासपोर्ट है जो उनके नाम से जारी एक राजनयिक पासपोर्ट है। डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार सुश्री हसीना के राजनयिक पासपोर्ट और वीजा विशेषाधिकारों को समाप्त करने से उन्हें प्रत्यर्पण का खतरा हो सकता है। सुश्री हसीना पर 51 आरोप हैं, जिनमें 42 हत्या के आरोप हैं। उनका प्रत्यर्पण बांग्लादेश और भारत द्वारा किए गए प्रत्यर्पण समझौते के कानूनी ढांचे के अनुरूप है। 2013 में सहमत और 2016 में संशोधित संधि में कहा गया है कि यदि जिस अपराध के लिए अनुरोध किया गया है वह राजनीतिक प्रकृति का है, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि संधि के तहत हत्या जैसे कुछ कृत्यों को राजनीतिक प्रकृति का अपराध नहीं माना जाएगा। हालांकि प्रत्यर्पण से इनकार करने का एक कारण यह है कि लगाए जा रहे आरोप सद्भावना से, न्याय के हित में नहीं लगाए गए थे। बांग्लादेश में एक पूर्व भारतीय उच्चायुक्त ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कानून चाहे जो भी हो सुश्री हसीना को प्रत्यर्पित करने का निर्णय अंतत: एक राजनीतिक निर्णय होगा। 1990 के दशक में ढाका में काम करने वाले एक अन्य भारतीय राजनयिक ने कहा कि भारत के सामने एक दुविधा यह है कि उसे बंगलादेश में सत्ता पर काबिज किसी भी व्यक्ति के साथ संबंध बनाए रखने चाहिए जबकि सुश्री हसीना जैसी पुरानी मित्र को छोडऩा नहीं चाहिए।