आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला
पुलिस अधीक्षक बद्दी इल्मा अफरोज झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाली बच्चों को अक्षर ज्ञान दे रहीं हैं ताकि वे गलत रास्ते पर चलकर जिंदगी न बर्बाद कर दे। इसके लिए इन बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ उनके अधिकार और कर्तव्य बताए जा रहे हैं। इल्मा ने करीब डेढ़ महीने पहले बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। तब बच्चों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन अब यह संख्या 80 हो गई है। एसपी इल्मा अफरोज बद्दी में मां के साथ रहती हैं। एक दिन शाम को वे मां के साथ सैर करने निकलीं तो कुछ प्रवासी बच्चे पानी की तलाश में भटक रहे थे।
उन्होंने बच्चों को ऑफिस से पानी दिया। जब इन बच्चों को उनके स्कूल और पढ़ाई के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसके चलते उन्हें स्कूल नहीं भेजा गया। इस पर एसपी ने बच्चों से कहा कि अगर वे पढ़ाना चाहते हैं तो वे ड्यूटी के बाद कुछ समय दे सकती हैं। इस पर बच्चे तैयार हो गए। इसके बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय के हाॅल में ही पढ़ाना शुरू कर दिया। अज्ञानता वंश ये बच्चे भीख मांगने, चोरी कराने, मोबाइल और सोने की चेन छीनने जैसे काम में करते थे। इनमें से तीन चार बच्चों को पुलिस ने पकड़ा भी था।
पिता नहीं जानते थे अंग्रेजी, चाहते थे बेटी पढ़े
इंग्लैंड के प्रतिष्ठित विवि ऑक्सफोर्ड से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने वाली ईल्मा अफरोज एक किसान परिवार से हैं। उनके पिता अंग्रेजी नहीं जानते थे। वे चाहते थे कि उनकी बेटी अंग्रेजी पढ़े। इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए इल्मा ने इंग्लैंड से पढ़ाई की। आईपीएस बनने से पहले वे संयुक्त राष्ट्र में काम करती थीं।
सुधार के लिए प्रयास जरूरी
एक गरीब बच्चा भी किसी साफ सुथरे घर में बैठ सकता है। प्रयास करने से गलत राह पर गए बच्चे सुधर सकते हैं। वे भी जीवन में अपना नाम कमा सकते हैं।
पिता को खोया, गुरबत में कटा बचपन
आईपीएस इल्मा अफ़रोज़ उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी कस्बे की रहने वाली हैं। उनका जीवन संघर्षों भरा रहा है। इल्मा जब 14 साल की थीं, तब पिता की मौत हो गई। इसके बाद मां ने इल्मा की ज़िम्मेदारी संभाली। इल्मा ने पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन किया। उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली। वहां से स्नातकोत्तर किया। 2017 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की और 217वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बन गई।