शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकार खाद का संकट जल्द दूर करेगी। खाद की 36500 टन की होशियारपुर से सप्लाई आ गई है। इसका वितरण सभी जिलों में किया गया है। इफको के माध्यम से किसानों तक पहुंचाई जाएगी। आजकल प्रदेश में खाद की कमी चल रही है। किसानों को यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। हालांकि सरकार का दावा है कि खाद की कमी नहीं आने दी जाएगी। लेकिन जमीनी स्तर पर हालत कुछ और है।
गौरतलब है कि देश के दूसरे राज्यों की तरह ही हिमाचल में भी खाद का संकट चल रहा है। सिस्टम की चूक के कारण कागजों में तो प्वाइंट आफ सेल यानी पॉस मशीनें पर्याप्त रिकार्ड दर्शा रही है, लेकिन मौके पर गोदामों में खाद की कमी है। कृषि विभाग के रिकार्ड के अनुसार प्रदेश में नवंबर महीने में यूरिया की जरूरत 5500 टन की है। जबकि कुछ दिन पहले तक स्टाक में 20673.92 टन उपलब्ध रहा। ये गोदाम हिमफैड और हिमको के हैं। इसी तरह से एनपीकेएस खाद की नवंबर महीने में 4500 टन जरूरत है। जबकि स्टाक में 4097.959 टन दर्शाया। इनमें थोड़ी कमी नजर आ रही है।
इस खाद में 12-32-16 और 15-15-15 शामिल है।डीएपी खाद की नवंबर महीने में जरूरत काफी कम है। 200 टन ही जरूरत है। इनमें से 52 टन उपलब्ध रहा। एमओपी खाद की नवंबर महीने में 2000 टन की जरूरत है। जबकि स्टाक में 2964 टन उपलब्ध रहा। देश भर में ही खादों का उत्पादन कम हो गया है। इसकी वजह यह बताई गई कि कच्चा उत्पाद काफी महंगा हो गया है। इस कारण केंद्र विदेशों से खाद को आयात कर रही है।
विभाग का गुणवत्ता पर नियंत्रण
कृषि विभाग खादों की गुणवत्ता पर नियंत्रण करता है। खादों को समय- समय पर सैंपल लेकर प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया जाता है। विभाग केंद्र सरकार के फर्टिलाइजर विभाग के साथ समन्वय का भी काम करता है। लेकिन वितरण का कार्य इसका नहीं है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों को खाद की कमी नहीं आने देंगे।