*हेलमेट नही तो पैट्रॉल नही* अच्छी पहल है।

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वीरेंदर चंबा
*हेलमेट नही तो पैट्रॉल नही* अच्छी पहल है।
लेकिन सरकार ऐसा भी एक कानून बनाये कि अगर रोड पर गड्ढे हैं तो टेक्स नही, ओर गाड़ियों का जो नुकसान होगा उनकी रिपेयर PWD विभाग करवायेगा। जब हम गाड़ी की रजिस्ट्रेशन करवाते हैं तो पैसा इसी लिये सरकारी कोष में जमा करवाते हैं। सड़क किनारे हर मोड़ पर, चौक चौराहे पर पुलिस चालान काट रही होती है। जनता की जेब से चालान के नाम पर जबरन पैसा इकट्ठा कर सरकारी कोष भरे जा रहे हैं, अच्छी बात है। परन्तु जनता के पैसों का सदुपयोग नहीं हो रहा। जनता द्वारा चुना नेता सड़क पर चलता है तो पुलिस हूटर बजाती उसको सुरक्षा देती चलती है जिस जनता ने चुना उसी को कह रहे हो कि रास्ता खाली रखो। नेता जी जा रहे हैं। क्या यह फुकरपन्ति नहीं। गत दिनों कोरोनां काल मे सुनसान सड़क पर एक नेता रात को लगभग 10:30 बजे हूटर का शोर मचाते हुए निकले, सोये बच्चे जग गए व्युर्ग ओर बीमार लोग डर गए। मैन SP साहब को शिकायत की। क्या नियम बनाने वालों पर नियम लागू नहीं होते?
या फिर सिर्फ सामान्य नागरिकों के लिए ही सारे नियम कायदे हैं। डगमगाती व्यवस्था पर सरकार की अपनी कोई ज़िम्मेदारी नही कि त्रुटियों को दूर किया जाये। हम लोग टेक्स क्या MP/ MLA की टेक्स फ्री सेलरी ओर पेंशन के लिए भरते हैं। देश मे ऐसा कानून बनना चाहिये नियम सबके लिये एक बराबर हो। चाहे वोह सामान्य नागरिक हो या देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति। इसके लिए आमजन को खुद जागरूक होना पड़ेगा। अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ेगा। नेताओं के आगे पीछे घूमने के बजाय उनकी व्यर्थ चमचागीरी करने के बजाय उनसे 4 सालो के काम का हिसाब मांगो। जब आप उनसे काम का हिसाब मांगेंगे तो यकीनन नेता जी आपके पास नहीं जायँगे ओर आपसे दूरी बना लेंगें।
🇮🇳

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