सदन में बोले जयराम- समय और स्थान के हिसाब से अपनी बात कहतेथे वीरभद्र सिंह, उनसे यह सब सीखा

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शोकोद्गार प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि वीरभद्र सिंह हिमाचल ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति में भी बड़ा नाम थे। हिमाचल को विकास की दृष्टि से आगे बढ़ाने में उनका बहुत योगदान रहा है। वीरभद्र सिंह को जो कहना होता था, कह देते थे। जो नहीं कहना होता था, वह नहीं कहते थे। स्थान और समय के हिसाब से अपनी बात कहते थे। उनसे यह सब सीखा। उनका देहांत एक बड़ी क्षति है। 

जयराम ने सोमवार को सदन में वीरभद्र सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह सार्वजनिक जीवन में सरल और सहज तरीके से अपनी बात कहते थे। बहुत बेहतरीन तरीके से बात रखते थे। यहां सदन में आमने-सामने बैठते थे। आदमी को साथ चलाना उन्हें आता था। जयराम बोले, वीरभद्र के साथ उनके राजनीतिक मतभेद रहे। वह व्यक्तिगत रूप से उनसे स्नेह करते थे। सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों के बीच रहकर उन्होंने अपना स्थान बनाया।

मजबूती के साथ वह जमीन पर खड़े रहे। स्थानीय विधायक होने के नाते वीरभद्र सिंह का एक बार स्वागत किया तो वहां से जाने की बात करने लगे तो वीरभद्र सिंह हाथ से पकड़कर साथ ले गए एक उद्घाटन समारोह में। मंच से बोलने का भी मौका दिया। जंजैहली में वीरभद्र सिंह ने जमकर तारीफ मंच से की। उनके पंडित सुखराम से संबंधों की बात करें तो वह कटुता ज़ाहिर नहीं होने देते थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
सदन में उठी रिज पर वीरभद्र की प्रतिमा लगाने की मांग, कांग्रेसी बोले- अंगुली पकड़ राजनीति में लाए 

 विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शोकोद्गार प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार से शिमला के रिज मैदान पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग की। उधर, अन्य कांग्रेस विधायकों ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने अंगुली पकड़कर उन्हें चलना सिखाया। 

मुकेश ने कहा कि गरीब को देखकर वीरभद्र सिंह की आंखों में आंसू छलकते थे। वही उन्हें राजनीति में लाए। उन्होंने न जाने कितने विधायक और मंत्री बनाए। अंगुली पकड़कर चलना सिखाया। नयनादेवी के कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि उन्हें भी राजनीति में वीरभद्र ही लाए।

एनएसयूआई में थे तो पूर्व सीएम के साथ काम करने का मौका मिला। वर्ष 1985 में 18 नए लोगों को उन्होंने टिकट दिलाए, उनमें वह भी थे। डलहौजी की कांग्रेस आशा कुमारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह उनके सगे मौसा थे। इस सदन में विशेषकर उन्हें और विक्रमादित्य सिंह को वीरभद्र सिंह ही अंगुली पकड़कर राजनीति में लाए।

हॉलीलॉज में कोई भी मिल सकता था वीरभद्र से
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह के आवास हॉलीलॉज शिमला में कोई भी बिना समय मांगे उनसे मिल सकता था। उन्होंने एक बार की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि नालागढ़ से दो लड़कियां रोते हुए आईं, उनके पास फीस नहीं थी। वीरभद्र ने निजी अकाउंट से एक को नर्सिंग की फीस दिलाई। दूसरी की निदेशक से फीस माफ करवाई। अखंड राजयोग के व्यक्तित्व दुर्लभ ही मिलते हैं।

सुक्खू बोले – मतभेद रहे, पर वीरभद्र से कभी घबराहट नहीं हुई
नादौन के कांग्रेस सुखविंद्र सुक्खू ने कहा कि एनएसयूआई, युवा कांग्रेस और प्रदेश कांग्रेस के वह अलग-अलग समय में प्रदेशाध्यक्ष बने तो वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री रहे। उनके साथ मतभेद भी रहे, मगर कभी भी उनसे घबराहट नहीं हुई। वीरभद्र हमेशा तार्किक बात करते थे।

दिल्ली वालों की नहीं, हिमाचल की बात समझते थे वीरभद्र  : सिंघा
माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि वीरभद्र सिंह दिल्ली वालों की नहीं, हिमाचल प्रदेश के लोगों की बात समझते थे। उन्होंने सदन में कहा कि दिल्ली वालों के कहने पर हिमाचल चल भी नहीं सकता। वह और उनकी पार्टी संकट की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ है।

सदन में उठी रिज पर वीरभद्र की प्रतिमा लगाने की मांग, कांग्रेसी बोले- अंगुली पकड़ राजनीति में लाए 

 विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शोकोद्गार प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार से शिमला के रिज मैदान पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग की। उधर, अन्य कांग्रेस विधायकों ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने अंगुली पकड़कर उन्हें चलना सिखाया। 

मुकेश ने कहा कि गरीब को देखकर वीरभद्र सिंह की आंखों में आंसू छलकते थे। वही उन्हें राजनीति में लाए। उन्होंने न जाने कितने विधायक और मंत्री बनाए। अंगुली पकड़कर चलना सिखाया। नयनादेवी के कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि उन्हें भी राजनीति में वीरभद्र ही लाए।

एनएसयूआई में थे तो पूर्व सीएम के साथ काम करने का मौका मिला। वर्ष 1985 में 18 नए लोगों को उन्होंने टिकट दिलाए, उनमें वह भी थे। डलहौजी की कांग्रेस आशा कुमारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह उनके सगे मौसा थे। इस सदन में विशेषकर उन्हें और विक्रमादित्य सिंह को वीरभद्र सिंह ही अंगुली पकड़कर राजनीति में लाए।

हॉलीलॉज में कोई भी मिल सकता था वीरभद्र से
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह के आवास हॉलीलॉज शिमला में कोई भी बिना समय मांगे उनसे मिल सकता था। उन्होंने एक बार की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि नालागढ़ से दो लड़कियां रोते हुए आईं, उनके पास फीस नहीं थी। वीरभद्र ने निजी अकाउंट से एक को नर्सिंग की फीस दिलाई। दूसरी की निदेशक से फीस माफ करवाई। अखंड राजयोग के व्यक्तित्व दुर्लभ ही मिलते हैं।

सुक्खू बोले – मतभेद रहे, पर वीरभद्र से कभी घबराहट नहीं हुई
नादौन के कांग्रेस सुखविंद्र सुक्खू ने कहा कि एनएसयूआई, युवा कांग्रेस और प्रदेश कांग्रेस के वह अलग-अलग समय में प्रदेशाध्यक्ष बने तो वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री रहे। उनके साथ मतभेद भी रहे, मगर कभी भी उनसे घबराहट नहीं हुई। वीरभद्र हमेशा तार्किक बात करते थे।

दिल्ली वालों की नहीं, हिमाचल की बात समझते थे वीरभद्र  : सिंघा
माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि वीरभद्र सिंह दिल्ली वालों की नहीं, हिमाचल प्रदेश के लोगों की बात समझते थे। उन्होंने सदन में कहा कि दिल्ली वालों के कहने पर हिमाचल चल भी नहीं सकता। वह और उनकी पार्टी संकट की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ है।

सदन में भावुक होकर बोले विक्रमादित्य- कैसे राजनीति में आए वीरभद्र
शिमला ग्रामीण के कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने सदन में भावुक होकर वीरभद्र सिंह के राजनीति में आने की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली में छात्र रहते हुए लाल बहादुर शास्त्री उन्हें बुलाकर ले गए। फिर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें महासू सीट से 1962 में चुनाव के लिए टिकट देने की बात की। विक्रमादित्य ने कहा कि वह वीरभद्र सिंह के बताए रास्ते पर चलेंगे। उन्होंने वीरभद्र सिंह को सदन में श्रद्धांजलि देने के लिए सबका धन्यवाद किया
शिमला ग्रामीण के कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने सदन में भावुक होकर वीरभद्र सिंह के राजनीति में आने की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली में छात्र रहते हुए लाल बहादुर शास्त्री उन्हें बुलाकर ले गए। फिर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें महासू सीट से 1962 में चुनाव के लिए टिकट देने की बात की। विक्रमादित्य ने कहा कि वह वीरभद्र सिंह के बताए रास्ते पर चलेंगे। उन्होंने वीरभद्र सिंह को सदन में श्रद्धांजलि देने के लिए सबका धन्यवाद किया

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