बिशेष संवादाता
जिसका अंदेशा था वही हुआ । जयराम ठाकुर के मन्त्रिमण्डल में नड्डा के तीन दरबारी शामिल हो गए । राकेश पठानिया, सुखराम चौधरी और राजेंद्र गर्ग। सबसे बड़ा झटका देने वाला तीसरा नाम है गर्ग का। गर्ग का मन्त्रिमण्डल में आना कोई बड़ी बात नहीं है। यह वह अचंम्भा है जिसका जिक्र “दरअसल” ने चन्द घण्टे पहले किया था।
राकेश पठानिया पहले से ही नड्डा भक्तों की लिस्ट में टॉप लेवल पर है। जबकि एक दौर में धुमल भक्त रहे चौधरी सुखराम भी कुछ अरसा पहले वाया डॉ राजीव बिंदल नड्डा के शरणागत हुए बताए जा रहे हैं। जबकि गर्ग का आसन ही नड्डा की मेहनत के दम पर बना था। पर इस लिस्ट में गर्ग का आना पीढ़ी परिवर्तन वाली जयराम सरकार के भविष्य के लिए युग परिवर्तन से कम नहीं आंका जा सकता। इसकी एक नहीं कई वजहें हैं ।
दरअसल,नड्डा पर यह आरोप लगता आ रहा था कि न तो वह भक्तों का ध्यान रखते हैं न ही उनकी कोई मदद करते हैं। नड्डा ने तीनों भक्तों को प्रशाद देकर एक ही झटके में सारे हिसाब भी बराबर कर दिए और मुंह भी बंद कर दिए। दरअसल, नड्डा के इस दांव से बड़े-बड़े स्थापित नेता निकट भविष्य में विस्थापित होते नजर आ रहे हैं।
आइए,सिलसिलेवार भाजपा के उन अंदुरुनी हालात पर नजर घुमाते हैं जो लंबे अरसे से बन तो रहे थे,पर आकार नहीं ले पा रहे थे। सबसे पहला नाम आता है शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का। जब भी कोई फेरबदल होता था,तब-तब धूमल भक्त शिक्षा मंत्री को सियासि सबक सिखाने की बातें शुरू हो जाती थीं। बिंदल विधानसभा अध्यक्ष पद हटे तो अचानक भारद्वाज का नाम उनको अध्यक्ष बनाने के लिए आगे बढ़ा दिया गया। बाद में जब बिंदल भाजपा अध्यक्ष पद से हटे तो फिर भारद्वाज को भाजपा अध्यक्ष बनाने का शिगूफा जबरन छोड़ दिया गया था। यानि हर उल्ट फेर में सॉफ्ट टारगेट भारद्वाज ही रहे। अब नए समीकरण भी भारद्वाज की फेवर में नहीं आंके जा रहे। भाजपा में उच्च पदस्थ सूत्र यह मान रहे हैं कि अब देर-सवेर फिर जल्द ही बड़ा उलटफेर होना तय है।
इसके तहत भारद्वाज को विधानसभा अध्यक्ष तो विपन परमार को मन्त्रिमण्डल का हिस्सा बनाया जा सकता है। इनका कहना है कि शांता कुमार से दूर हुए और धुमल से अलग चल रहे परमार भी नड्डा के खास हो चुके हैं। ऐसे में ब्राह्मण समुदाय के बड़े नेता सुरेश भारद्वाज को रिप्लेस करने से पहले गर्ग को बिठा कर नड्डा के मायाजाल को इंद्रजाल से जोड़ कर देखा जा रहा है। जगजाहिर है कि लोअर हिमाचल में अभी तक पठानिया से बड़ा कोई भी ऐसा भाजपा नेता नहीं था जो नड्डा के लिए जमीन-आसमान एक करता था। अब कोने में सुखराम चौधरी तो बीच मे गर्ग का अवतरण हो चुका है।
पीढ़ी परिवर्तन वाली सरकार में अढ़ाई साल के बाद ही युग परिवर्तन का आगाज़ हो गया है। नड्डा ने अपने घर को गर्ग के जरिए मजबूत किया। गौरतलब है कि भले ही नड्डा पूर्व में बिलासपुर से चुनाव लड़ते रहे है मगर उनका घर यानी विजयपुर झंडूता आरक्षित विधानसभा क्षेत्र में आता है। पर पुनर्सीमांकन की वजह से जो नड्डा के घर का गेट है वह घुमारवीं विधानसभा के इलाके में खुलता है। मौजूदा विस्तार में नड्डा का आकार ही छाया हुआ है। खैर, भाजपा आज की डेट में नड्डा शरणम गच्छामि तो हो ही गई, अब भविष्य में हाईकमान संग नड्डा की राह पर नजर रखना दिलचस्प रहेगा…