आवाज़ जनादेश चौपाल/शिमला ब्यूरो
वन विभाग ठियोग रेंज के अंतर्गत देहा से खिड़की सड़क निर्माण में नियमों को अनदेखा कर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है । वहीं विकास के नाम पर डेंनस्फोरेस्ट का भारी विनाश किया जा रहा है। सड़क निमार्ण से निकलने वाला मलबा घने जंगल,छोटे नालों में निडर हो कर डाल जा रहा है और वन विभाग विरयानी खा कर कुंभकर्णी निद्रा में सो रहा है |गौर करने वाली बात है की लोकनिर्माण विभाग ने 850लाख का टेंडर आमंत्रित किया था जिसे 10करोड़ से अधिक राशी में लोकनिर्माण विभाग चौपाल ने त्रिलोक राठौर को जारी किया था | DPR अनुसार उक्त सड़क निर्माण में अधिकतर रिटर्निग दीवारों का निर्माण करना था लेकिन दुर्भाग्वंश इस सड़क निर्माण में 70-80 फीसदी जंगल काट कर मलवे को जहाँ-तहां फैंका गया है | हलांकि इस सड़क का निर्माण 70 के दशक में किया जा चूका था जिसमे FCA की आवश्यकता नहीं है | परन्तु NGT के नियमों अनुसार किसी भी सड़क निर्माण के लिए डंपिंग क्षेत्र चिन्हित करना जरुरी है जो ऐसा इस मामलें में कंही भी चिन्हित नही किया गया |वन विभाग से इस बारे जब हमारे संवादाता ने बात की तो उक्त सड़क निर्माण के कितने पेड़ थे इसका कोई भी ब्यौरा नहीं है | सूत्रों की माने तो इस सड़क में सैंकड़ो छोटे बड़े पेड़ थे जो आज सब खत्म हो चुके है प्रश्न यह उठता है की आखिर विभाग ने सड़क निर्माण में किसके दबाव में आकर आंखे बंद कर रखी है सूत्रों की माने तो इस सड़क में विभाग के अधिकारीयों को मामले में शांत रहने बहुत सारे हथकंडे अपने गए है | मौके पर ठेकदार ने कोई भी डंपिंग साईड नही बनाई जबकि अधिशाषी अभियंता लोकनिर्माण विभाग के अनुसार ठेकेदार की तीन डंपिंग क्षेत्र बनाने को कहा गया था जिसमे पहले इस निर्माण कार्य मे लोकनिर्माण विभाग ने कोई भी डंपिंग साईड नही बनाई। जो NGT के आदेशों की भी हवेलना हैं। रोड पर सैकड़ों पेड़ थे जिसकी न तो मार्किंग की गई न गिनती वन विभाग के पास सड़क निर्माण में कट रहे पेड़ो का कोई भी उचित ब्यौरा नही है। जिसे वह बता सके की सड़क निर्माण में कितने पेड़ कटने हैं। जबकि नियमों के अनुसार सबसे पहले डंपिंग क्षेत्र चिन्हित किए बिना निर्माण कार्य आरंभ नही हो सकता था।
निर्माण कार्य मे मनमर्जी से सैंकड़ो पेड़ो की भेंट चढ़ा दी गई व मलवा हर किसी जगह जंगलो में फेंका जा रहा हैं । छोटे नदी नाले मलबे में दब गए हैं बरसात होते ही सारा मलबा आपदा को नयोता दें रहा है 8 करोड़ 50 लाख की लागत से बन रही सड़क कर लोकनिर्माण विभाग 3 भंडार क्षेत्र की बात कर रहा हैं। लेकिन वनविभाग इससे पूरी तरह नकार रहा हैं।RO देहा के अनुसार विभाग की चिठ्ठी मिडिया के संज्ञान के बाद मांगी गई हैं जिसमे तीन डंपिंग क्षेत्रो की मांग की गई हैं | सड़क एक भाग्य रेखा हैं जिससे बनाने का आवाज़ जनादेश भी समर्थन करता है | लेकिन कार्य नियमों के अंतर्गत होना जरुरी हैं ठेकेदारों को सीधा फायदा पहुंचाने की मंशा से प्राकृतिक सम्पति का दोहन करना नया संगत नहीं हैं | बेलगाम ठेकेदारों को सरक्षंण क्यों दिया जा रहा है ।और मिडिया को सचाई लिखने से क्यों रोका जा रहा हैं | प्रश्न यह उठता हैं कि क्या विभाग पर राजनीतिक दबाब में कार्य कर रहा हैं या फिर कुछ बजह और हैं यह एक जांच का विषय हैं ।विभाग व ठेकेदार की कितनी की जाँच होना जरुरी है |लोगों ने मांग की है की प्रदेश सरकार को चौपाल लोकनिर्माण अधीन कार्यकर रहे ठेकेदारों और उनके साथ भ्रष्टाचार में बढ़ावा दे रहे अधिकारीयों की जाँच होना जरुरी हैं चौपाल में दशको से लंबित पड़ी सड़को को पूरा न किए जाने पर भी ठेकेदारों को । 80 फीसदी काम तक ठेकेदार को क्यों नहीं रोका गया| वनविभाग क्या कर रहा था ।सैकड़ों पेड़ इस कार्य के दौरान कहां गायब हो गए अभी तक उसका लेखा-जोखा डिपार्टमेंट के क्यूँ पास नहीं हैं।
इसे ठेकेदार की राजनीतिक पहुंच कही जाए या विभाग की लापरवाही चुक या फिर राजनीति का दबदबा जिसके आगे सभी कायदे क़ानून बौने साबित हो रहे हैं।