राज्यपाल ने टभोग गांव का दौरा कर जानी प्राकृतिक कृषि की जमीनी हकीकत

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ग्रामीणों ने लिया आज से प्राकृतिक कृषि करने का निर्णय

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आतमा), शिमला द्वारा कार्यान्वित सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत ‘कृषक भ्रमण कार्यक्रम’ के तहत राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज यहां शिमला ग्रामीण के सुन्नी तहसील के अन्तर्गत बसंतपुर विकास खण्ड की पाहल पंचायत के टभोग गांव का दौरा किया। उन्होंने सुरेश ठाकुर के खेतों का मुआयना किया, जिन्होंने प्राकृतिक कृषि के तहत सब्जी उत्पादन किया है। पद्मश्री सुभाष पालेकर भी राज्यपाल के साथ थे।

‘कृषक भ्रमण कार्यक्रम’ के तहत प्रदेश के करीब 80 किसानों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, राजस्थान इत्यादि अन्य राज्यों के किसान भी शामिल हुए।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने बजट में आज शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को देश भर में लागू करने का जो प्रस्ताव दिया है, उसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार इस कृषि पद्धति के प्रति कितनी गंभीर है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हिमाचल प्रदेश इतिहास रचने वाला है, क्योंकि इस कृषि पद्धति के मामले में हम काफी कार्य कर चुके हैं।

आचार्य देवव्रत ने इस अवसर पर किसानों को इस कृषि पद्धति के लाभ बताये और उन्हें इसे पूर्ण रूप से अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इसे जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने किसान सुरेश ठाकुर के प्रयासों की सराहना की।

इस मौके पर, पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि प्राकृतिक कृषि के मॉडल दूरवर्ती गांव में देखकर उन्हें यह किसी चमत्कार से कम नहीं लगा। उन्होंने कहा कि उन्हें यह लगता था कि केवल प्रचार का काम होगा लेकिन टभोग गांव में आकर उनकी धारणा ही बदल गई है। यहां पहाड़ी गाय का पालन हो रहा है और और प्राकृतिक कृषि के मॉडल तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों के प्रति कितनी चिंतित रहती है। उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि किसानों को खेतों में बाड़बंदी करने के लिए दिए जाने वाले अनुदान को 80 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस पद्धति को लेकर सकारात्मक हैं और इस दिशा में हर सहयोग करने को तैयार हैं।

इस मौके पर टभोग गांव के लोगों ने सामुहिक तौर पर निर्णय लिया कि पूरा गांव अब प्राकृतिक कृषि करेगा।

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