उपचुनाव की तपिश में फिर तपेगा हिमाचल

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आवाज़ जनादेश / राजगढ सिरमौर
प्रदेश की चारों सीटों का परिणाम घोषित हो चुका है ऐसे में अब धर्मशाला और पच्छाद में उपचुनाव होगा । सिरमौर जिला के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से सुरेश कश्यप प्रतिनिधित्व कर रहे है। लेकिन लोकसभा चुनावों में जीत के बाद अब उन्हें सांसद के रूप में काम करना है। ऐसे मेंपच्छाद  से एमएलए के तौर पर कौन आगे काम करेगा इसके लिए भाजपा के भीतर तो हलचल है ही है ।।साथ ही साथ पच्छाद में भी हल चले काफी तेज हो चुकी है हलचल में एक नाम ऐसा भी है जोकि हर युवा की जुबान पर है नाम है आशीष सिकटा यह ना तो किसी बड़े राजनीतिक घराने से संबंध रखते हैं और ना ही कोई बड़ा बिजनेसमैन या न ही नेताओं में अच्छी पैठ रखते हैं। लेकिन आशीष सिकटा सबसे बड़ी खासियत इनका छात्र जीवन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ काम करना है।  जब राजगढ़ कॉलेज में B.A. करने के लिए पहुंचे थे। तो उन्हीं दिनों एबीवीपी से आशीष का संपर्क हुआ था। फिर क्या था आशीष संगठन के काम में धीरे-धीरे निपुण होने लगा और लगन से अपनी पैठ जमाने लगे। कॉलेज में इकाई सचिव से लेकर इकाई उपाध्यक्ष तक का दायित्व निभाया और पहला चुनाव सीआर के पद पर जीत गए थे। फिर वर्ष 2008 में आशीष एचपीयू में एलएलबी करने पहुंच गए। यहां पर भी उसी स्पीड से काम करते रहे जिस स्पीड से कॉलेज में काम किया करते थे धीरे-धीरे एचपीयू की छात्र राजनीति में आशीष का नाम बड़ा बनना शुरू हो गया था। आशीष सिकटा ने अपनी एक टीम कैंपस के अंदर खड़ी कर दी थी जिसने कॉमरेड के गढ़ को हिलाने में साम,दाम,दंड,भेद अपनाना शुरू कर दिया था। कॉमरेड भी आशीष शिक्षा के नाम से कैसा खौफ रखते थे । इस बारे के बारे में उस समय के पढ़े छात्र भलीभांति बता सकते हैं। और फिर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एबीवीपी के इकाई अध्यक्ष भी बने । 9 महीने तक जेल में रहने वाले आशीष सिकटा छात्र हितों के आंदोलन के लिए हमेशा आगे रहे। वर्ष 2013 में पूर्णकालिक जीवन के तौर पर एबीपी में काम शुरू किया  और प्रांत सचिव भी रहे 2017 में एबीबीपी पूर्णकालिक जीवन से वापसी ले ली। अशीष की पढ़ाई बीएएलएलबी एलएलएम तक हुई है, जबकि पिछले कुछ महीनों से अपने विधानसभा क्षेत्र पच्छाद में डटे हुए हैं।संगठनात्मक तौर पर आशीष काफी सक्रिय और मेहनती है। लेकिन भाजपा में कोई राजनीतिक गुरु ना होने के कारण अभी तक आशीष ज्यादा चहेते किसी के बड़े नेता के नहीं पाए हैं । लेकिन पिछले कुछ महीनों से आशीष का नाम काफी चर्चा में है ।अगर भाजपा आशीष सिकटा को मैदान में उतारती है तो एक युवा चेहरा होगा ही साथ ही साथ सिरमौर में नई पौध को तैयार करने में अहम भूमिका होगी । हालांकि अभी बीजेपी इस सीट को लेकर कुछ भी कहना नहीं चाहती है। लेकिन अंदर खाते हर टिकट के तलबगार ने गोटियां फिट करना शुरू कर दी है। आशीष सिकटा की सबसे मजबूत ही ढाल उनका एबीवीपी से जुड़े रहना है । हिमाचल प्रदेश सरकार में एबीवीपी से निकले हुए पूर्व छात्र नेताओं को काफी अच्छे जगह मिली हुई है। ऐसे में ये अटकलें तेज है कि आशीष सिकटा के नाम पर अगर मुहर लगी तो कई नए समीकरण भाजपा के भीतर खड़े हो जाएंगे। पच्छाद से यूं तो दयाल प्यारी का नाम भी काफी चर्चा में रहा है।  लेकिन पिछले कुछ दिनों में पार्टी के भीतर उनके साथ हुए व्यवहार को लेकर काफी विवाद चल रहा है । ऐसे में उनकी टिकट की राहें कांटो से भरी नजर आ रही है। अभी उपचुनाव 6 महीने के भीतर होना है। वही टिकट के शौकीन नेताओं ने आला नेताओं के चक्कर काटना शुरू कर दिया है। देखना अब यह है कि भाजपा आशीष सिकटा जैसे युवा को पार्टी में एंट्री देकर मैदान में उतारती है या फिर किसी के रिश्तेदार को टिकट देकर जाति आधारित वोट बैंक हासिल करने की कोशिश करेगी।लेकिन लोकसभा चुनावों में आशीष ने पूरे विस क्षेत्र में भाजपा का प्रचार-प्रसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। टिकट की दौड़ में सिकटा जीत पाएंगे या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ मे छूपा है ।

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