सेब के रोगों की रोकथाम हेतु छिडकाव सारिणी

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सेब के रोगों की रोकथाम हेतु छिडकाव सारिणी

क्रम.संख्या.पौधों की अवस्थादवाई का नामदवाई प्रति 200 ली. पानी मेंरोकथामटिप्पणी
1.हरी कलीकैपटानयाडोडीनयाजीरम600 ग्राम 200 ग्राम 600 मि.ली.   स्कैब 
2.गुलाबी कलीमैनकोजैबयाप्रोपिनेबयाडिफनोकोनाजोल600 ग्राम 600 ग्राम 30 मि.ली.  स्कैब 
3.पँखुड़ीपात / फल अवस्था (मटर के दाने के आकार का)कारबैन्डाजिमयाथायोफिनेट मिथाईलयाहैक्साकोनाजोलटेबुकोनाजोज 50 %+ट्राईफ्लोकिसस्ट्रोबीन25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 100 ग्राम 100 ग्राम  100 मी.ली.  80 ग्रामस्कैब       सफ़ेद चूर्ण रोग 
4.फल विकास (अखरोट के आकार का) माइक्लोबूटानिलयामैनकोजैबयाप्रोपिनेबयाडोडीनयामैटीराम 55 प्रतिशत+पायराक्लोस्ट्रोबिंन  5 प्रतिशत डब्ल्यूजी80 ग्राम 600 ग्राम 600 ग्राम 150 ग्राम 300 ग्रामस्कैब     अल्ट्रनेरिया लीफ स्पॉट/ब्लाइट/असामयिक पतझड़यदि तापमान 30 ०C से अधिक हो या आद्रता अधिक हो तो डोडीन का छिडकाव न करें। 
5.फल विकास (क्रमांक 4 से 20 दिन बाद )टेबुकोनाजोज 50 प्रतिशत+ट्राईफ्लोकिसस्ट्रोबीन 25 प्रतिशत डब्ल्यूजीप्रोपिनेब या जीनेब80 ग्राम 600 ग्राम 600 ग्रामअसामयिक पतझड़स्कैब स्कैब,ब्लैक रॉट 
6.फल तोड़ने से पूर्व (फल तोड़ने से 20 से 25 दिन पूर्व)कैपटानयाजीरममैटीराम 55 प्रतिशत+पायराक्लोस्ट्रोबिन 5 प्रतिशत डब्ल्यूजी600 ग्राम 600 मि.ली. 300 ग्रामस्कैब,फ्लाई स्पैक/बिटर रॉटस्कैबअल्टनेरिया लीफ स्पॉट/ ब्लाईट  
7.फल तोड़ने के बादकॉपर आक्सीक्लोराइड600 ग्रामकैकर 

टिप्पणी

  1. यह छिडकाव सारणी सामान्य मौसम के लिए है।
  2. यदि छिडकाव के 12 घंटे के भीतर भारी बारिश होती हैं तो सात दिन के भीतर पुनः छिडकाव करें।
  3. एक ही कीटनाशक/फफूंदनाशक का प्रयोग बार-बार न करें।
  4. कीटनाशक/फफूंदनाशक का प्रयोग बीमारी की सम्भावना पर ही करें।
  5. डोडीन के साथ अन्य कोई भी फफूंदनाशक/रसायन न मिलाए।
  6. उपरोक्त रसायनों के अतिरिक्त छिडकाव में किसी भी प्रकार का रसायन/कीटनाशी / माईक्रोन्यूट्रीयन्ट/पौध वर्धक हारमोन को न मिलायें ताकि पौधों पर खुरदरापन या अन्य प्रकार के विकार न आने पाये। यदि आवश्यकता हो तो अलग से छिडकाव करें।
  7. सेब की गिरी हुई पत्तियों को एकत्रित करके या तो कम्पोस्ट के रूप में गड्ढें में डाल कर सड़ा दें या जला कर नष्ट कर दें। तथा बागीचे में गिरे हुए सेब के रोगग्रस्त पत्तों के ऊपर 5 प्रतिशत यूरिया का स्प्रे करें जिससे पत्तों के सड़ने की प्रक्रिया तेज हो सके या गिरी हुई पत्तियों को इकट्ठा करके जला दे ।
  8. कॉपर ओक्सीक्लोराईड जोकि डॉ. वाई. एस.परमार औधानिकी एवं वानिकी विश्वविधालय.नौणी द्वारा जांचा-परखा गया है और पेड के ऊपर दर्शाई गई अवस्था पर छिडकाव हेतु अति आवश्यक है परन्तु यह उत्पाद केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड व पंजीकरण समिति द्वारा अभी तक पंजीकृत नहीं है ।
  9. सफ़ेद जड़ सड़न रोग की रोकथाम के लिये वर्षा ऋतु में तीन से चार बार कारबैन्डाजिम(0.1%) या ओरियोफजीन (0.02%) + कॉपर सल्फेट(0.02%) का घोल बनाकर पौधों  के तौलिये के इर्द- गिर्द 15-20 सै. मी. गहरे सुराख़/ छेद बनाकर तर/ ड्रेंच करें।सर्दियों के मौसम में ग्रसित पौधों  की जड़ो को काट कर बोर्डों  पेन्ट का  लेप लगाए ।
  10. तना सड़न रोग की रोकथाम के लिए सर्द ऋतु में तने के पास बने हुए घाव को खुरचने के बाद बोर्डों पेन्ट या अन्य किसी कॉपर आधारित फफुदीनाशक पेन्ट को लगाए। बरसात के दिनों में पौधों के तौलियों को पौधे से 30 सै. मी. की दूरी तक मैनकोजैब (0.03%) के घोल से तर/ड्रेंच करें।

ओलावृष्टि के बाद अन्य सिफारिशें

ओलावृष्टि के तुरन्त बाद100 ग्राम कारबैन्डाजिम या 600 ग्राम मैनकोजेब का 200 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें ।

ओलावृष्टि के 3-4 दिनों के अन्दर  बोरिक एसिड  (200 ग्राम)+  जिंक सल्फेट  (500 ग्राम)+ अनबुझा चूना (250 ग्राम) का 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें ।

10-12  दिनों के बाद,सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे कि एग्रोमिन,मल्टीप्लेक्स या माइक्रोविट का 400-600 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें तथा ओलावृष्टि से प्रभावित बागीचों में यूरिया (1कि.ग्रा.प्रति 200 ली.पानी) का छिडकाव करें ।

सेब के कीट व माईट नियंत्रण हेतु छिडकाव सारिणी

क्रम.संख्या पौधे की अवस्थादवाई का नामदवाई प्रति 200 ली.पानी मेंरोकथाम
1.आधा इंचहरी कलीस्प्रे ऑयल4 लीटर सैन्जोस्केल व माईट 
2.गुलाबी कली थायाक्लोप्रिंड100 मि.लीथ्रिप्स
3.पंखुड़ीपातस्पाईरोमेसीफेनयाहैक्सीथाईजोक्सओक्सी- डेमीटोन मिथाइलमैलाथियान60 मि.ली. 200 मि.ली200 मी. ली 200 मि.ली. माईट  सैन्जोस्केल ऐफिड 
4.फल विकास(अखरोट के आकार का)फैन्जाक्वीनयाप्रोपरजाईटयाहोर्टिकल्चर मिनरल ऑयल50  मि.ली. 200 मि. ली 2 लीटर माईट 
5.फल विकास (क्रमांक 4 के 20 दिन बाद)हैक्सीथाईजोक्सयास्पाईरोमेसीफेन 200 मि.ली. 60 मि. ली माईट 
6.फल विकास (क्रमांक 5 के 20 दिन बाद)फैन्जाक्वीनयाप्रापरजाईट50 मि.ली 200 मि.ली. माईट 
7.फल तोड़ने से पूर्व(फल तोड़ने के 20-25 दिन पूर्व)मैलाथियानआक्सी-डेमीटोन मिथाईल200 मि.ली.200 मि. ली ऐफिडसैन्जोस्केल 
8.फल तोड़ने के बादक्लोरपायरीफास400 मि.ली. वुली  एपल ऐफिड

टिप्पणी

  1. एक ही कीटनाशक/ एकेरीसाइड का प्रयोग बार-बार न करें।
  2. जब भी माईट की रोकथाम हेतु पौधे पर छिड़काव करें उस समय पौधे के तौलिये में भी छिड़काव करें जिससे माईट का नियन्त्रण प्रभावशाली हो।
  3. फल तोड़ने के उपरान्त वूली ऐफिड तथा जड़ छेदक कीडे की रोकथाम हेतु पौधे के तौलिये में क्लोरपायरीफास 2 मि. ली. /प्रति.लि. पानी में घोल बनाकर ड्रेंच करें।
  4. होर्टिकल्चर मिनरल ऑयल स्केल कीट व माईट नियन्त्रण हेतु प्रभावशाली है। यधपि डॉ. वाई. एस.परमार औधानिकी व वानिकी विश्वविधालय, नौणी द्वाराअनुमोदित किये गये है परन्तु  इनका पंजीकरण केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड व पंजीकरण समिति द्वारा इनका पंजीकरण अभी तक नहीं किया गया है एवं यह सक्षम कार्यकाल के विचाराधीन है। उक्त विश्वविधालय धारा आवश्यक परीक्षण आकड़े प्रस्तुत किये जा चुके हें।
  5. अप्रैले से जून महीनों में  लेडी वर्ड वीटल, सिरिफिड फलाई तथा अन्य मित्र कीटों के बचाव हेतु कीटनाशक का प्रयोग कम से कम  करें जिससे इस समय मित्र कीट जोकि काफी सक्रिय होते है, को अनावश्यक  क्षति न हो।
  6. खिले हुए फूलों पर किसी प्रकार का छिडकाव न करें ताकि परागण क्रिया में सहायक कीटों को कोई नुकसान न हो।

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