काम लटका तो फंसेंगे ठेकेदार
विशिष्ट राहत संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर, अब तय समय पर पूरी होंगी परियोजनाएं
नई दिल्ली / बुनियादी क्षेत्रों में सरकारी अनुबंध के तेजी से क्रियान्वयन करने और उनमें कानूनी बाधाओं को हटाने से संबंधित विशिष्ट राहत (संशोधन) विधेयक 2018 को सोमवार को राज्यसभा ने पारित कर दिया, जिसके साथ इस पर संसद ने अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा ने संक्षिप्त चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया, जबकि लोकसभा इसे बजट सत्र के दौरान 15 मार्च को बिना किसी चर्चा के पारित कर चुकी है। विधेयक में बुनियादी क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं को तेजी से लागू करने के लिए संबंधित ठेकेदार से अनुबंध वापस लेने, विवादों का निपटारा करने के लिए विशेष अदालतें गठित करने तथा अदालतों को स्थगन आदेश देने से रोकने का प्रावधान है। इस विधेयक के जरिए विशिष्ट राहत अधिनियम 1963 में संशोधन किया गया है। विधयेक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इससे बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं को लागू करने में तेजी आएगी और अनावश्यक विवादों का जल्द से जल्द निपटारा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक में कानून के जरिए या मध्यस्थता से विवादों के समाधान की व्यवस्था की गई है। यह कानून लागू होने के बाद ठेकेदारों की जवाबदेही तय हो सकेगी और परियोजनाओं को तय समय पर पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह कानून पुराना हो गया था और तेजी से उभरती देश की अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा था। सदस्यों की आशंकाओं का निवारण करते हुए उन्होंने कहा कि यह विधेयक लाने से पहले सभी राज्यों के साथ सलाह मशविरा किया गया है। यह कानून विशेष रूप से बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं पर लागू होगा। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर, समाजवादी पार्टी के सुरेंद्र सिंह नागर, अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन और जनता दल (यू) के हरिवंश ने भी विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लिया।
हज पर जीएसटी घटाने की मांग
जनता दल यूनाइटेड की कहकशां परवीन ने हज यात्रा पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का मुद्दा सोमवार को राज्यसभा में उठाया और इसे कम करने की मांग की। सुश्री परवीन ने विशेष उल्लेख के जरिए हज यात्रा पर जीएसटी लगाने का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार की तरफ से हज करने वाले लोगों से 18 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा है जबकि निजी टूर आपरेटरों के जरिए हज यात्रा करने वाले लोग पांच प्रतिशत जीएसटी चुका रहे हैं।