सक्सेस स्टोरी — मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना से मिला घर और संबल

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हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2023 में आरंभ की गई मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना आज हजारों जरूरतमंद बच्चों और निराश्रित महिलाओं के जीवन में नई रोशनी बनकर उभरी है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की संवेदनशील पहल ने अब तक 4100 से अधिक बच्चों को “चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट” के रूप में गोद लेकर उनके पालन-पोषण और शिक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी उठाई है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ममता पॉल ने बताया कि यह योजना अनाथ, अर्ध-अनाथ और विशेष रूप से सक्षम बच्चों को केवल आर्थिक सहयोग ही नहीं, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अवसर भी प्रदान कर रही है। बच्चों को 14 वर्ष की आयु तक 1,000 रुपये, 18 वर्ष तक 2,500 रुपये तथा 18 से 27 वर्ष की आयु तक 4,000 रुपये मासिक सहायता दी जा रही है। इसके अतिरिक्त, उच्च शिक्षा का पूरा खर्च सरकार वहन कर रही है और छात्रावास उपलब्ध न होने पर 3,000 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। यही नहीं, स्टार्टअप, व्यवसाय, घर निर्माण और विवाह तक के लिए भी आर्थिक प्रावधान कर उन्हें आत्मनिर्भर जीवन की ओर अग्रसर किया जा रहा है।

प्रदेश में वर्ष 2023-24 में 3,730 बच्चों पर 7 करोड़ 86 लाख रुपये, वर्ष 2024-25 में 4,409 बच्चों पर 16 करोड़ 25 लाख रुपये और वर्ष 2025-26 में अब तक 4,112 बच्चों पर 17 करोड़ 34 लाख रुपये व्यय किए गए हैं।योजना के तहत मकान निर्माण हेतु 3 लाख रुपये की सहायता का प्रावधान किया गया है। इस घटक के अंतर्गत अब तक 390 लाभार्थियों को 4 करोड़ 8 लाख 50 हजार रुपये वितरित किए जा चुके हैं। कार्य पूर्ण होने पर 11 करोड़ 73 लाख रुपये तक की राशि आवंटित की जाएगी। जिला शिमला में भी 19 लाभार्थियों को गृह निर्माण सहायता उपलब्ध करवाई गई है।

योजना से मिला जीने का सहारा और आगे बढ़ने की शक्ति – नितिन
तहसील रामपुर निवासी नितीन कपाटिया माता-पिता के निधन के बाद पूरी तरह अकेले और बेघर हो गए थे। ऐसे कठिन समय में मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना उनके जीवन में सहारा बनकर आई। मासिक 4,000 रुपये की आर्थिक सहायता और गृह निर्माण अनुदान के अंतर्गत प्राप्त 02 लाख रुपये से उनका घर बनने का सपना पूरा हुआ। आज नितीन आत्मसम्मान और आत्मविश्वास के साथ अपने घर में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वे कहते हैं – “इस योजना ने मुझे जीने का सहारा और आगे बढ़ने की शक्ति दी है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू जी का हृदय से आभारी हूं।”

सुख आश्रय योजना कर रही अनाथ और जरूरतमंद बच्चों के लिए संबल का कार्य – शिवानी
जिला शिमला की तहसील ननखड़ी की शिवानी भी इस योजना की प्रेरक मिसाल हैं। छठी कक्षा में पिता और ग्यारहवीं कक्षा में मां के निधन के बाद वह अपने नाना-नानी के साथ रहने लगीं, क्योंकि उनके पास घर नहीं था। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अंतर्गत प्राप्त 1.50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता से उनका घर बनने का सपना साकार हुआ। शिवानी बताती हैं – “यह सहयोग मेरे जीवन में नई उम्मीद लेकर आया है। यह योजना हम जैसे अनाथ और जरूरतमंद बच्चों के लिए संबल का कार्य कर रही है।”

योजना ने हजारों बच्चों और बेसहारा लोगों के जीवन में उम्मीद और आत्मनिर्भरता की खोली नई राह – उपायुक्त
उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना ने प्रदेश के हजारों बच्चों और बेसहारा लोगों के जीवन में उम्मीद और आत्मनिर्भरता की नई राह खोली है। यह केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन की ओर उठाया गया सराहनीय कदम है। जिला शिमला में भी इस योजना के तहत 19 लाभार्थियों को गृह निर्माण सहायता उपलब्ध करवाई गई है जोकि बेहद सराहनीय है।

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