सोलन नगर निगम में नहीं होगा मेयर का चुनाव

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मेयर-पूर्व मेयर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दोनों की सदस्यता बहाल

आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला

नगर निगम सोलन के दो पार्षदों की सदस्यता समाप्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को झटका दिया है। मेयर चुनाव के ठीक दो दिन पहले मेयर उषा शर्मा व पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर द्वारा दायर याचिका के मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले पर रोक लगा दी है, जिससे उनकी सदस्यता फिर से बहाल हो गई है। इस फैसले के आने के बाद अब गुरुवार को आयोजित होने वाले मेयर चुनाव भी टल गए हैं। यह फैसला भी उस समय आया है, जब मुख्यमंत्री सुक्खू सोलन के प्रवास पर थे। वहीं, सदस्यता समाप्ति के फैसले पर रोक लगने पर उषा शर्मा ने कहा कि यह सच्चाई की जीत है। मैं पहले भी कांग्रेस की कार्यकर्ता थी और आज भी हूं। मुझे न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास था और मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और मंगलवार को सुनवाई के दौरानकोर्ट ने उनकी सदस्यता को बहाल रखा है।

एमसी एक्ट में किया संशोधन

सोलन में पार्टी की गुटबाजी व बगावत के सुरों को शांत करने के लिए प्रदेश सरकार ने एमसी एक्ट में संशोधन तक कर दिया था। क्रॉस वोटिंग पर रोक लगाने के लिए राज्यसभा चुनाव के तर्ज पर पार्षदों को भी अपना वोट पीठासीन अधिकारी को दिखाना अनिवार्य कर दिया था।

यह था मामला

उल्लेखनीय है कि सात दिसंबर, 2023 में नगर निगम सोलन में मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव आयोजित किए गए थे। इस चुनाव में उषा शर्मा ने कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और जीता भी था। वहीं, डिप्टी मेयर पद पर भाजपा की मीरा आनंद ने कब्जा कर लिया था। इस चुनाव में कांग्रेस के पास बहुमत का आंकड़ा होने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार से बौखलाई कांग्रेस ने निगम कमिश्नर के पास मेयर उषा शर्मा, पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर, पूर्व डिप्टी मेयर राजीव कौड़ा और पार्षद अभय शर्मा के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए शिकायत दी थी। कांग्रेस का आरोप था कि इन चार पार्षदों ने व्हिप का उल्लंघन किया और भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर कांग्रेस के मेयर व डिप्टी मेयर पद के प्रत्याशियों को हरा दिया। कमिश्नर ने इस शिकायत को निदेशालय भेजा था, जहां से सरकार के आदेशों के बाद सारे मामले की जांच उपायुक्त सोलन को सौंपी गई थी। उपायुक्त ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी और उस जांच के आधार पर सरकार ने उषा शर्मा व पूनम ग्रोवर की सदस्यता समाप्त करने के आदेश दिए थे। उषा शर्मा की सदस्यता समाप्त होने के बाद सोलन नगर निगम में मेयर का पद खाली चल रहा था और कुछ दिन पूर्व ही प्रशासन ने 22 अगस्त को मेयर के चुनाव करवाने की तिथि निर्धारित की थी। हालांकि इस बीच 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से मेयर उषा शर्मा व पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर की सदस्यता समाप्त करने के फैसले पर रोक लग गई।

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