शिमला: मशहूर लेखक शेक्सपीयर ने लिखा था कि ‘नाम में क्या रखा है.’ लेकिन लगता है नाम में बहुत कुछ रखा है. तभी तो ‘नाम’ पर इतना विवाद हो रहा है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ताकुमार भी डलहौजी का नाम बदलने के विवाद में कूद गए हैं. उन्होंने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का समर्थन किया है और डलहौजी का नाम बदलने की पैरवी की है. शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखा है कि 1992 में भाजपा सरकार के एलान को अब पूरा किया जाए. उन्होंने कहा कि वे जब मुख्यमंत्री थे तो डलहौजी का नाम बदलने का अध्यादेश जारी किया था, लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने उसे रद्द कर दिया।
पूर्व सीएम शान्ता कुमार ने लिखा हे कि डलहौजी तीन महान पुरुषों की याद से जुड़ा है. प्रसिद्ध साहित्यकार नोवल पुरस्कार विजेता रवीन्द्र नाथ टेगौर डलहौजी आए थे और अपनी प्रसिद्ध रचना गीतांजली का कुछ भाग लिखा था. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भी डलहौजी आए थे . कुछ समय रहे और उन्होंने विदेश जाकर आजाद हिन्द फौज बनाने के क्रान्तिकारी विचार का यहीं पर आत्म-मथन करके निर्णय किया था. शहीद भक्त सिंह के चाचा प्रसिद्ध क्रान्तिकारी अजीत सिंह डलहौजी में रहे और यही पर उनका देहान्त हुआ. उन्होंने कहा इन तीनों महान पुरूषों के स्मारक डलहौजी में बने. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, जिस मकान में रहे, सरकार उसका अधिग्रहण करके एक भव्य स्मारक बनाए उन्होंने कहा डलहौजी आज केवल एक पर्वतीय पर्यटन केन्द के रूप में प्रसिद्ध है. पर तीन महापुरु षों का स्मारक बनने के बाद यह स्थान भारत भर में एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय तीर्थ बन जाएगा।
स्वामी ने लिखा था खत
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस संबंध में हिमाचल के राज्यपाल को खत लिखा है. चार जून को लिखे इस खत में स्वामी ने मांग की है कि डलहौजी का नाम बदला जाए.. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने कहा है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है और सरकार की ऐसी कोई मंशा भी नहीं है।