आवाज़ जनादेश/शिमला
प्रदेश सरकार ने किसी सरकारी कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु पर आश्रित को करूणामुलक आधार पर नौकरी का प्रावधान किया है लेकिन 15 से 20 साल हो पीडित परिवार को अभी तक इसका कोई लाभ नही हो पाया है
जब चुनाव का समय आता है तो नेता अशवासन देते है लेकिन चुनाव के बाद करूणामुलक नोकरीयों का मुददा भुल जाते है करूणामुलक आश्रित परिवार दर दर की ठोंकरें खाने को मजबुर है हिमाचल इस तरह के सेंकडों मामले है 15 साल बीत जाने के बाद भी आश्रितों को नोकरी नही मिल पाई है हर रोज कार्यालयों के चक्कर लगा रहे लेकिन अशवाशनों के सिवा आज दिन तक कुछ हाथ नही लगा है करूणामुलक आश्रितों का कहना है कि उनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी नही करता है इन के परिवारों की आर्थिक स्थिती अच्छी नही है सभी करूणामुलक आश्रितों ने प्रशासन व प्रदेश सरकार से अग्रह किया है जल्द से जल्द करूणामुलक नौकरीयों पर उचित फैसला लें ।
अजय कुमार , शेखर, शुभम महंत, राजीव कुमार, मदन लाल, सुमित कुमार, अक्षय कुमार, राजीव कुमार, इशू सूद, अभिषेक मेहरा, कुलदीप, रजत, सुरेश, प्रवीन, रजनीश, रॉकी ने एक बार फिर सीएम जयराम ठाकुर से एक बार फिर करुणामूलक आधार पर नोकरी के लिए one time relaxation की माँग की व करूणामूलक् अाधार पर दी जाने वाली नौकरीयो से आय का दायरा हटाये जाने की मांग की और कहा गया कि पेंशन व अन्य भतो को सालाना इनकम में ना जोडा जाये और 5% कोटे की शर्त को पूर्ण रूप से हटा दिया जाए ताकि विभिन्न विभाग अपने तोर पर नोकरियाँ दे सकें तथा आश्रितों को शेक्षणिक योग्यता के अनुसार विभिन्न श्रणीयों मैं नोकरियाँ दी जाए |
बता दें कि करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने के मामलों को सरकार चुनावी मुद्दा ही बनाती आई है | अभी तक सरकार कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाई है। जवकि सरकार के पास विभिन्न विभागों में करुणामूलक के लंबित करीब 5000 मामले पहुंचे हैं और प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।
सरकार नही दे पा रही करूणामुलक को नौकरीयां सिर्फ चुनावी मुद्दा
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